धूमधाम से निकली कलश यात्रा, 501 महिलाओं ने उठाया कलश

-8 दिवसीय 51 कुण्ड महायज्ञ का शुभारंभ
-भागवत आत्मबोध की प्रयोगशाला है: आचार्य देवेन्द्र कृष्ण शास्त्री
-सद्भावना एवं आत्मज्ञान के प्रचार प्रसार से बचेगी भारतीय संस्कृति: पं. श्री मनोज कृष्ण शास्त्री

ग्रेटर नोएडा। पितरों की एवम विश्व शांति-कल्याण एवं समृद्धि प्राप्ति के लिए अष्टोतरशत (108) श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का 8 दिवसीय 51 कुण्ड का आत्मानुभवी महाराज के सानिध्य में विशाल कलश यात्रा का आयोजन किया गया। यात्रा में बैंड बाजों की धार्मिक धुनों से पूरा वातावरण भक्ति में हो गया। जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।शिव हनुमत धाम कमेटी द्वारा श्री शिव हनुमत धाम (कष्ट निवारण धाम) नवाग्रह मन्दिर खेड़ा हाथीपुर गौतमबुद्ध नगर में 16 दिसंबर तक चलने वाली अष्टोतरशत (108) श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का बुधवार सुबह से शुभारंभ हो गया। यात्रा में भक्तों ने बारी बारी से श्रीमद्भागवत पुराण शिरोधार्य कर धर्म लाभ उठाया। 21 ब्राहम्णों द्वारा वेदिक मंत्र के साथ यात्रा का शुभांरभ किया गया। यात्रा में 501 महिलाओं ने कलश लेकर जय घोष के साथ कलश यात्रा में भाग लिया। यात्रा में कथावाचक आचार्य देवेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज एवं पं. मनोज कृष्ण शास्त्री महाराज और छोटू पंडित द्वारा गाए गए मधुर भजनों द्वारा श्रद्धालु इतने खुश हुए कि वह सारे रास्ते नाचते गाते ईश्वर की भक्ति में ही लीन हो गए। कलश यात्रा दादरी स्थित खेड़ा हाथीपुर गांव में श्री शिव हनुमत धाम नवग्रह मंदिर कष्ट निवारण धाम से शुरू होकर पूरे गांव में भ्रमण करते हुए वापस मंदिर पर पहुंची। इस आलोकिक दृश्य का गांव के हजारों लोगों ने लाभ उठाया। पहले दिन की कथा का शुभारंभ मंगलाचरण तथा भागवत पुराण के पूजन से हुआ।
मूल पाठ सुबह 7 से 9 बजे तक हुआ। जिसके बाद 9.30 बजे से 11. 30 बजे तक हजारों श्रृद्धांलुओं ने यज्ञ में आहूति दी। जिसके उपंरात 12 बजे से 3 बजे तक कथावाचक आचार्य देवेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज के मुख से कथा प्रवचन शुरू हुई। मूल पाठ दोपहर 3 बजे से 5. 30 बजे तक, पूर्ण आहूति/ आरती सायं 5.30 से 6.30 बजे तक किया गया। कथावाचक आचार्य देवेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने श्रद्धालुओं को पावन कलश यात्रा का महत्व बताते हुए कहा कि कलश में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है। अत: इस कलश को धारण करने वालों सहित जिस जिस क्षेत्र में यह यात्रा जाती है उन सभी के लिए अति कल्याणकारी होती है। महाराज ने कहा कि भागवत आत्मबोध की प्रयोगशाला है। जहां से मानव के व्यक्तित्व का जन्म होता है क्योंकि भाव भक्ति का संगम होते ही मनुष्य की प्रतिभा धर्म मय हो जाती है, जिससे यह लोग और परलोक समझने के साथ-साथ दिशा व दशा दोनों बदल जाती है।अध्यक्ष पं. श्री मनोज कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा एवं यज्ञ का उद्देश्य विश्वशांति व विश्व कल्याण की कामना के लिए है। भारतीय संस्कृति तथा मानवता को बचाने के लिए सद्भावना एवं आत्मज्ञान के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। धार्मिक गतिविधियां ही मानव समाज का उत्थान करती हैं। उन्होंने कहा कि समाज में फैला मानसिक प्रदूषण अध्यात्म ज्ञान से ही दूर किया जा सकता है। सच्चे मन से कथा श्रवण करने से मानव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।छोटू पंडित ने कहा कलियुग में सिर्फ भागवत कथा ही मनुष्य के लिए मोक्ष का द्वार है। प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिए। धर्म से ही संस्कृति जीवित है। यदि धर्म ही नहीं होगा तो संस्कृति भी जीवित नहीं बचेगी। भगवान की भी उत्पत्ति यज्ञ से ही हुई है यदि यज्ञ न हो तो मेरी भी और आपकी भी उत्पत्ति नहीं होगी। यज्ञ ही मात्र एक उपाय है, जिसमें समस्त प्राणियों का ही नहीं विश्व के सभी प्राणियों का कल्याण होता है। कार्यक्रम में हापुड़ चेयरमैन रेखा नागर, समिति के सदस्य कपिल नागर, फिरेराम खारी, संजीव खारी, मनोज नागर, मनोज तवर (मंत्री), नरेंद्र राठी, राहुल लोहिया, शनितेगा प्रधान, तेजेंद्र नागर, राहुल, वरूण रावल, शिवांग प्रधान, रोहित कसाना, अरूण बंसल, योगेश चंदेला, रेखा नागर समेत गांव के हजारों श्रृद्धांलुओं ने इस आलोकिक एवं भव्य दृश्य का दर्शन करते हुए कथा का रसपान किया।