कल श्रीमद भागवत कथा व श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन

-सत्संग व भागवत कथा से होता है मन का शुद्धिकरण: पं मनोज कृष्णा शास्त्री

ग्रेटर नोएडा। शिव हनुमत धाम कमेटी द्वारा कल से श्रीमद भागवत कथा व सर्व कष्ट निवारण के लिए एक आहुति पितृ कल्याण के लिए श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। अध्यक्ष पंडित मनोज कृष्णा शास्त्री जी महाराज ने बताया कि रविवार 11 सितंबर से 18 सितंबर तक श्री राम पार्क नियर गोल चक्कर, ओमी क्रोन-2, ग्रेटर नोएडा में श्रीमद भागवत कथा एवं श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। वृदांवन धाम से कथा ब्यास आचार्य अजय कृष्ण महाराज के सनिध्य में कथा का आयोजन किया जाएगा। कथा, प्रवचन शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक पूर्ण आहुति व आरती सवा 9 बजे से 10 बजे तक होगी।

उन्होंने बताया श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ समस्त सृष्टि के लिए कल्याणकारी है। इस यज्ञ में बैठने मात्र से ही सौ जन्मों का फल मिलता है। सार्वाजनिक हित, विश्व शांति और कल्याण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष इस यज्ञ और कथा का आयोजन किया जा रहा है। इसका लाभ क्षेत्रवासियों को मिलता है। श्री लक्ष्मीनारायण यज्ञ में भाग लेने व कथा सुनने अंचल के श्रद्धालुओं की बैठने के लिए भी व्यवस्था की गई है। जो धर्म को बचाकर रखता है, जीवन उसी का सफल होता है। जीवन में केवल ज्ञान प्राप्त कर लेना ही काफी नहीं है, बल्कि इसके साथ भक्ति भी जरूरी है।

पंडित मनोज कृष्णा शास्त्री महाराज ने बताया सनातन काल से श्राद्ध की परंपरा चली आ रही है। इसका उल्लेख वेदों पुराणों से मिलता है। ऋषियों मुनियों ने श्राद्ध के महत्व को माना है। शास्त्रों के अनुसार हर मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण होते हैं, देव ऋण, गुरु ऋण तथा पितृ ऋण (माता-पिता)। इनमें श्राद्ध के माध्यम से ही पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।

सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते।