ड्रैगन को दर्द : पाकिस्तान में चीन का विरोध

चीन-पाकिस्तान की अटूट मित्रता किसी से छिपी नहीं है। दोनों मुल्कों के संबंधों को 70 साल हो चुके हैं। समय-समय पर वह एक-दूसरे की दोस्ती का गुणगान करते नजर आते हैं। पाकिस्तान समय-समय पर चीन को अपना बड़ा भाई बताता रहता है। इन संबंधों के पीछे दोनों के निजी स्वार्थ भी जगजाहिर हैं। दोनों एक-दूसरे के कुकृत्यों का समर्थन करने में हमेशा आगे रहते हैं। चीन के चक्कर में अमेरिका तक से पंगा मोल लेने से पाकिस्तान को कोई गुरेज नहीं है। हालांकि दोनों की यह मित्रता पाकिस्तान की अवाम को ज्यादा पसंद नहीं है।

पाकिस्तान में चीन के बढ़ते दखल और प्रोजेक्ट्स का विरोध बढ़ रहा है। पाकिस्तान के अलावा नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका आदि में चीन अपना प्रभुत्व बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। कुछ दिन पहले नेपाल में चीन की गतिविधियों के खिलाफ जनता को सडक़ों पर उतरना पड़ा था। इस बीच पाकिस्तान में एक बार फिर गहरा घाव मिलने से ड्रैगन (चीन) एकाएक बौखला गया है। पाकिस्तान के हिंसा प्रभावित खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में बस पर भीषण बम हमला किया गया। इस बस में सवार चीन के 9 इंजीनियरों के अलावा पाकिस्तान के 3 सुरक्षा कर्मियों की जान चली गई है। हमला इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए। बस में सवार होकर सभी इंजीनियर चीन के प्रोजेक्ट पर काम के सिलसिले में जा रहे थे। इस घटना के बाद चीन का पारा चढ़ गया है।

चीन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से इस प्रकरण की उच्चस्तरी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। चीन के आक्रामक रूख अपनाने से पहले पाकिस्तान ने इस घटना को छुपाने की भरपूर कोशिश की। बम हमले को सिर्फ हादसा बताकर मामले को शांत करने की कोशिश की गई। इसके पहले भी पाकिस्तान में चीन के प्रोजेक्ट्स का विरोध होता रहा है। दरअसल इमरान सरकार ने खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में जनता को भरोसे में लिए बगैर ड्रैगन को काम करने की अनुमति दे दी थी। इसका निरंतर विरोध हो रहा है। चीन वहां वृहद सडक़ परियोजना पर काम कर रहा है। यह प्रोजेक्ट राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके जरिए वह दुनियाभर में सडक़ मार्ग से अपना व्यापार बढ़ाने को लालायित है। भारत को छोडक़र आस-पास के सभी देशों ने चीन के इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई थी। इसका खामियाजा इन देशों को भुगतना पड़ रहा है। कारण साफ है कि सडक़ परियोजना के माध्यम से चीन इन देशों को आर्थिक गुलाम बनाने की मंशा पाल रहा है। संबंधित देश लगातार उसके कर्जदार बनते जा रहे हैं।

भारत ने इस परियोजना में शामिल होने से इसलिए इंकार कर दिया था कि ड्रैगन ने नई दिल्ली की चिंताओं को दूर करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इसके बाद से चीन और भारत में तनातनी बढ़ती गई। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में ताजा घटना के बाद बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी फिर शक के दायरे में है। घटना के पीछे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का हाथ होने की आशंका जाहिर की जा रही है। इस संगठन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का हमेशा पुरजोर विरोध किया है। पूर्व में भी इस संगठन पर पाकिस्तान में कार्यरत चीनी नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगता रहा है। बलूच नेताओं से राय-शुमारी किए बगैर पाकिस्तान ने सीपीईसी से जुड़ा महत्वपूर्ण फैसला ले लिया था। इससे ब्लूच नेताओं में काफी नाराजगी है।

सीपीईसी योजना के अंतर्गत चीन लंबे समय से पाकिस्तान में विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। वहां के नागरिक चीन के इन प्रोजेक्ट्स से कतई संतुष्ट नहीं हैं। वह समय-समय पर विरोध-प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी को जाहिर करते रहते हैं। पाकिस्तान के क्वेटा में कुछ माह पहले विद्रोहियों ने चीन के राजदूत को निशाना बनाने के लिए होटल को विस्फोटक से तबाह कर दिया था। विद्रोहियों को सूचना मिली थी की चीनी राजदूत क्वेटा के सेरेना होटल में रूक हैं। हालांकि भीषण हमले के वक्त वह होटल में मौजूद नहीं थे। हमले में 5 नागरिक मारे गए थे। होटल पर हमले का शक बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पर जताया गया था। पिछले साल कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमले में भी इस संगठन की भूमिका होने की बात सामने आई थी। दरअसल पाकिस्तानी सेना ने वर्ष-2006 में परवेज मुशर्रफ की शह पर नवाब अकबर बुगती की निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी।

नवाब अकबर बुगती बलूचिस्तान के सबसे प्रभावशाली नेता थे। बुगती की हत्या से वहां के नागरिकों में जबरदस्त आक्रोश पैदा हो गया था। बाद में 2013 में परवेज मुशर्रफ को नवाब बुगती की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया था। कानूनी शिकंजा कसने पर मुशर्रफ ने अपने बचाव में सफाई दी थी। मुशर्रफ ने कहा था कि ब्लूच नेता बुगती क्षेत्र में तेल और खनिज उत्पादन में होने वाली आमदनी में हिस्सेदारी की डिमांड कर रहे थे। ब्लूचिस्तान में पाकिस्तान सेना अक्सर बल का प्रयोग कर नागरिकों की आवाज को दबाती रही है। पाकिस्तानी आर्मी से वहां के नागरिक बेहद आतंकित रहते हैं। अलबत्ता पलटवार करने को वहां ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को सक्रिय होना पड़ा है। इस संगठन के सदस्य जब-तब मौका पाकर पाकिस्तान सैनिकों को सबक सिखाने की फिराक में रहते हैं।

सेना का इस्तेमाल होने के बाद भी ब्लूचिस्तान में चीन और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। निकट भविष्य में यह विरोध और बढ़ने के प्रबल आसार हैं। इसके चलते चीन इस क्षेत्र में अपने प्रोजेक्ट की कामयाबी और सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता है। अपने 9 इंजीनियरों की हत्या के बाद से ड्रैगन पुन: परेशान हो उठा है। वह पाकिस्तान की हकूमत पर अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए दबाव बना रहा है। वैसे ब्लूचिस्तान में हालात सामान्य होने की उम्मीद नहीं है। चूंकि पाकिस्तान की सेना ने वहां के नागरिकों को जो जख्म दे रखे हैं, वह आज भी भरे नहीं हैं।