उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ हुआ चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत का समापन

छठ मईयों के गीतों से गूंजा छठ घाट

घंटों तक घाटों में खड़े व्रतियों ने दिया अघ्र्य

गाजियाबाद। शनिवार सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य दान के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत का समापन हुआ। छठ पूजा मनाने वाले व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर कड़ी साधना करके हरनंदी नदी, हिडन नहर, पार्क, सोसायटी के स्वीमिग पूल और छत पर श्रद्धालुओं ने सूर्य भगवान के निकलने का इंतजार किया। प्राताकाल उदयमान सूर्य को लाखों व्रतियों ने अघ्र्यं देकर मनोकामना पूरी करने व संसार को कोरोना से मुक्ति देने की प्रार्थना की।

बुधवार से शुरू हुए छठ महापर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने निर्जल व्रत किया। शुक्रवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया था। शनिवार सुबह हरनंदी नदी, हिडन नहर, पार्को में बने अस्थाई घाट, सोसायटियों में बने स्वीमिग पूल में बने छठ घाट के पानी में घंटों तक खड़े व्रतियों में गजब की श्रद्धा दिखी। घाटों पर छठ मईया के गीत सुनाई दिए। सुबह से ही पूरे शहर का माहौल भक्तिमय रहा। हरनंदी नदी व हिडन नहर घाट पर हजारों लोगों ने उगते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया और मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना की।

वहीं छठ घाट झिलमिल सितारों की रोशनी से जगमगा उठे। कई छठ घाटों पर पूजा समितियों व प्रशासन एवं नगर निगम की ओर से कोविड-19 को लेकर पूरी सतर्कता बरतते हुए मास्क पहनने व शारीरिक दूरी का पालन करने की अपील की गई। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जगह-जगह पुलिस बल को तैनात किया गया। छठ महाव्रत को लेकर हजारों व्रतधारी महिला-पुरुष अपने घर से सूप-दउरा में छठ पूजन सामग्री सजाकर गाजे-बाजे के साथ छठ घाट पर पहुंचे। उनके साथ उनके परिजन व मोहल्ले के लोग छठ मईया के गीत गाते हुए श्रद्धा व उमंग के साथ छठ घाट पर पहुंचे।

नगर निगम द्वारा हिण्डन घाट पर साफ-सफाई से लेकर आकर्षक रोशनी की व्यवस्था की गई साथ ही कोरोना के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से स्लोग्र भी लिखे गये। दरअसल, लोक आस्था का यह पर्व इसलिए तो अनूठा है कि इसमें प्रकृति की पूजा, प्राकृतिक चीजों के व्यापक प्रयोग की कुशलता, शिक्षा और स्वास्थ्य की सीख, स्वच्छता, संस्कृति, भाईचारा और आस्था का बेजोड़ मेल है। जिले में शहर से लेकर मोदीनगर, मुरादनगर, मसूरी, डासना, लोनी, साहिबाबाद आदि क्षेत्रों में छठ महापर्व शांतिपूर्ण तरीके से परंपरागत तरीके से मनाया गया। वैसे तो छठ महाव्रत को लेकर दिन-रात वातावरण छठ गीतों से गूंजते रहा। छठ महापर्व के अवसर पर नवयुवक भोजपुरी विकास समिति के सौजन्य से प्रताप विहार विजय नगर सम्राट चौक के निकट छठ पूजा का आयोजन किया गया। छठ घाट सहित सभी छठ घाट दूधिया रोशनी से जगमगा रहे थे। इलेक्ट्रॉनिक झालरों-बतियों की रंग-बिरंगी रोशनी से नहाए छठ घाट आकर्षण का केंद्र बने रहे। जलाशयों के पानी में लाइट की रोशनी पढ़ते ही एक अलग ही प्रकार के आनंद की अनुभूति का एहसास हो रहा था।

छठी मईया के प्रति आस्था ऐसी होती है कि व्रती उनके परिवार के सदस्य छठ घाटों पर नंगे पांव पहुंचकर पूजन अर्चन करते हैं। घाट चाहे कितना दूर क्यों ना हो व्रती व उनके परिजन पैदल व नंगे पांव ही छठ घाटों पर जाकर डूबते व उगते सूर्य को अघ्र्य देकर छठी मईया की आराधना करते हैं। समितियों के पदाधिकारी अनिल सिंह ने बताया कि समिति की ओर से छठ घाट पर गाइडलाइन नियमों का पालन किया गया। घाट पर पहुंचे व्रतियों को सेनेटाइज एवं टेम्परेचर चेक करने के बाद ही जाने दिया गया। व्रतियों की सुविधाओं के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए ज्यादातर व्रतियों ने घरों में रहकर सूर्य देवता को अघ्र्य दिया। इस दौरान राज किशोर सिंह, आत्मा प्रसाद, आर के चौबे चौबे, वीर बहादुर, राजाराम आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।