सपा सांसद को तालिबान से हुआ प्रेम

बेलगाम Taliban के कारनामों को सुनकर और देखकर आज हर कोई दंग है। हथियारों के दम पर अराजकता का नंगा नाच और अप्रासंगिक नियम-कायदों को लागू करने के लिए बेकसूर नागरिकों पर अत्याचार को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता है। Taliban की बर्बरता के कारण अफगानिस्तान आज समूची दुनिया में बदनाम हो रहा है।

Taliban लड़ाकों की हैवानियत के हैरतअंगेज किस्से रोजाना सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद इस आतंकी संगठन पर कोई असर नहीं पड़ा है। सभ्य समाज में तालिबान की कभी जगह नहीं मिल सकती। जहरीली विचारधारा को सभ्य समाज कभी सहमति नहीं सकता। चिंता की बात यह है कि इस संगठन के प्रेमी, समर्थक और शुभचिंतक अफगानिस्तान के बाहर भी खूब हैं। जो खतरनाक विचारधारा को सही ठहराने की खातिर हास्यास्पद तर्क देने से पीछे नहीं हटते हैं। ताजा मामला भारत में प्रकाश में आया है।

सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क को Taliban की नीतियों में कुछ गलत नहीं दिखता। उलटा वह अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति का समर्थन कर रहे हैं। सपा सांसद बर्क के Taliban प्रेम से सियासी गलियारों में एकाएक उबाल आ गया है। विवाद बढ़ने पर पुलिस को सांसद बर्क के विरूद्ध राजद्रोह का केस दर्ज करना पड़ा है। शफीकुर्रहमान बर्क ने अफगानिस्तान में Taliban के कारनामों को सही ठहराया है। उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान की आजादी अफगानिस्तान का अपना मामला है। वहां अमेरिका की हुक्मरानी क्यों?

सपा सांसद बर्क ने कहा कि Taliban वहां की ताकत है। तालिबान ने अपनी सरजमीं पर रूस और अमेरिका के पांव नहीं जमने दिए। तालिबान के नेतृत्व में अफगान आजादी चाहते हैं। भारत में भी अंग्रेजों के खिलाफ समूचे देश ने लड़ाई लड़ी थी। सपा सांसद बर्क की भांति समाजवादी युवजन महासभा के नेता चौधरी फैजान शाही ने Taliban नेता बरादर को फेसबुक पोस्ट पर तख्ता पलट के लिए बधाई दे डाली। नतीजन सपा सांसद बर्क और सपा नेता फैजान शाही अब कानूनी पचड़े में फंस गए हैं। गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होने के कारण दोनों की गिरफ्तारी भी संभव है। सांसद बर्क और सपा नेता शाही की सोच को ठीक नहीं माना जा सकता। विपक्ष के नेता होने से पहले वह भारतीय हैं। भारत में रहकर वह तालिबान की भाषा नहीं बोल सकते हैं। आज वह ऐसा बोल रहे हैं, कल दूसरे नेता इस प्रकार की बयानबाजी कर सकते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि तालिबान की कथनी एवं करनी में अंतर है। पाकिस्तान की मदद से वह अफगानिस्तान में अपने मंसूबों में सफल हो पाए हैं।

पाकिस्तान पहले से आतंक की नर्सरी कहलाता है। Taliban लड़ाकों के अलावा पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आतंकियों ने भी अफगानिस्तान में खूब आतंक बरपाया है। तालिबान आज खौफ, आतंक और मौत का पर्याय बन गया है। यह संगठन खुद की छवि और नीतियों में सुधार लाने के भले ही लाख दावे करे, मगर इस पर कोई भरोसा नहीं कर सकता। बहुचर्चित कंधार अपहरण कांड को भला कैसे भूल सकते हैं। कंधार कांड में पाकिस्तान के आतंकियों की तालिबान ने खुलकर मदद की थी।

Taliban की सपोर्ट के कारण पाकिस्तान के आतंकी भारत से अपने कुछ कुख्यात साथियों को छुड़ाकर ले गए थे। बाद में इन आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर को आतंक की स्थली बनाने की हरसंभव कोशिश की। तालिबान का दामन पहले भी दागदार था, आज भी दागदार है और आगे भी दागदार रहेगा। ऐसे संगठन का समर्थन कर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क आखिर देश में क्या संदेश देना चाहते हैं? उन्हें Taliban के कदम का क्लीन चिट देने से पहले सौ बार सोचना चाहिए था। सांसद होने के नाते देश एवं समाज के प्रति आम नागरिक के मुकाबले उनकी जिम्मेदारी ज्यादा है। अपने पद की गरिमा का उन्हें ख्याल रखना चाहिए था। देश में आतंकवादियों के पैरोकारों की कोई कमी नहीं रही है। इसके पहले भी कई नेता फिजूल की बयानबाजी कर विवाद को जन्म दे चुके हैं।

दिल्ली में बाटला हाउस एनकाउंटर का मामला हो या भारत द्वारा पाकिस्तान पर सर्जिकल या एयरस्ट्राइक करने की कार्रवाई विपक्ष ने हमेशा ऐसे बयान दिए हैं, जिससे सरकार और सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए गए हैं। देश ने वह समय भी देखा है, जब आतंकियों की फांसी रूकवाने के लिए शीर्ष अदालत में देर रात तक बहस की गई। जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने पर भी कुछ नेताओं ने आपत्तिजनक बयानबाजी कर माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया था। देश-विदेश की खुफिया एजेंसियों से यह रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं कि अफगानिस्तान में Taliban का राज आने का मतलब भारत के लिए भविष्य में मुश्किलें बढ़ना तय हैं।

बेशक तालिबान के नेता आज सकारात्मक बयान दे रहे हैं, मगर कल तालिबान समर्थक आतंकी भारत को अस्थिर करने की साजिश नहीं रचेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से आतंकवाद पनप रहा है। कश्मीर के भटके युवाओं को सही दिशा दिखाने के लिए विपक्ष के नेताओं ने कभी सकारात्मक पहल नहीं की है। अलबत्ता सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के Taliban प्रेमी बयान की जितनी निंदा की जाए वह कम है।

सपा के शीर्ष नेतृत्व को भी आगे आकर सांसद बर्क के बयान का खंडन करना चाहिए। साथ उन्हें नसीहत देनी चाहिए कि आगे से वह इस प्रकार की बयानबाजी से परहेज करें। इसके पहले भी सांसद बर्क बेतुके बयान देकर विवादों में घिर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि कोरोना संक्रमण जैसी कोई बीमारी नहीं है। यह बीमारी सरकार की गलती के कारण फैली है। उत्तर प्रदेश के संभल से सपा सांसद बर्क काफी बुजुर्ग हैं। उन्हें जिंदगी का तर्जुबा भी अच्छा-खासा होगा। संवदेनशील मुद्दों पर बार-बार गलत बयानी कर उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा।