निगम अधिकारी जाएंगे जेल, भ्रष्टाचार के मामले में विजलेंस थाने में मुकदमा दर्ज

भ्रष्टाचार के आरोप सही पाये जाने पर शासन ने विजलेंस टीम को मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया। नगर निगम में नगर स्वास्थ अधिकारी के पद पर तैनात डॉ. मिथलेश कुमार ना सिर्फ भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हैं बल्कि वह कई तरीके के विवादों में घिर गये है। मामला 2018 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराये गये कामों से संबंधित है। फिलहाल तो वह विजलेंस के शिकंजे में फंसे हैं लेकिन तैनाती सहित शासन को ठेंगा दिखाने, रसूख का इस्तेमाल कर मनमानी करने सहित कई तरह के विवाद उनके साथ जुड़ गये हैं। डॉ. मिथलेश के अलावा एक रिटायर्ड अधिकारी और निगम के बाबू के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ है। मामला इतना गंभीर है और भ्रष्टाचार के आरोप इतने संगीन हैं कि आरोपियों को सात साल से अधिक की जेल हो सकती है।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। नगर निगम अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और कमीशनखोरी का भूत इस कदर सवार है कि वह किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं रहते हैं। लेकिन योगी सरकार ने ऐसे अधिकारियों पर हंटर चलाना शुरू कर दिया है। गाजियाबाद नगर निगम में विजलेंस टीम द्वारा की गई कार्रवाई भ्रष्टाचार की मोटी चर्बी चढ़ाये अधिकारियों के लिए नसीहत है कि यदि वह अब भी नहीं सुधरे तो जेल की चक्की पीसने से बचना मुश्किल होगा। शासन के आदेश के बाद मेरठ विजलेंस थाने में गाजियाबाद नगर निगम में तैनात नगर स्वास्थ अधिकारी डॉ. मिथलेश कुमार सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। मुकदमा दर्ज होने के बाद इन सभी आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। गिरफ्तारी के बाद यदि आरोप सही साबित होते हैं तो इन सभी आरोपियों को सात साल से अधिक की सजा हो सकती है। बहरहाल नगर निगम के स्वास्थ विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के इस खुले खेल का राजफास होने से सभी हतप्रभ हैं।

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corruptionनगर निगम का स्वास्थ विभाग भ्रष्टाचार के काजल की कोठरी है। कुछ समय पहले करोड़ों रुपये के तेल के खेल का पर्दाफास हुआ था। पेट्रोल पंप संचालकों से प्रति माह लाखों रुपये रिश्वत लेने का ऑडियो वायरल हुआ था और अब रिश्वतखोरी के लिए फाइलों से पत्रावली गायब करने के संगीन आरोप लगे हैं। अधिकारी और बाबू भ्रष्टाचार में इस कदर डूबे हुए हैं कि एक बार चढ़ावा ले लेने के बाद दूसरी बार भी जजिया कर वसूलते हैं। लेकिन इस बार इसी जजिया कर  वसूली में वह बुरी तरह फंस गये हैं। स्वास्थ विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर विजिलेंस जांच ने भी मुहर लगा दी है।

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रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप सत्य पाये जाने के बाद विजिलेंस टीम ने नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग मैं तैनात डॉक्टर सहित 3 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। जिन तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ उसमें से एक अधिकारी विरेंद्र कुमार शर्मा रिटायर हो चुका है जबकि नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथिलेश और क्लर्क मोहन वर्तमान में नगर निगम में ही तैनात है। विजिलेंस टीम ने भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को लेकर जो मुकदमा मेरठ में दर्ज किया है उसमें आरोप है कि ठेकेदार द्वारा काम करा लेने के बाद उसका भुगतान नहीं किया गया और भुगतान करने के एवज में मोटी रिश्वत मांगी गई। रिश्वत नहीं मिलने पर ठेकेदार के भुगतान से संबंधित फाइल की पत्रावली गायब कर दी गई।

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क्या है पूरा मामला

मामला 2018 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराये गये कामों से संबंधित है। जिसके भुगतान को लेकर स्वास्थ विभाग में खेल किया गया था। दिनांक 26 अगस्त 2020 को नगर निगम गाजियाबाद में व्याप्त भ्रष्टाचार के संबंध में खुली जांच के आदेश उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान मेरठ सेक्टर मेरठ को दिये गये। खुली जांच की गई और खुली जांच की आख्या 15 मार्च 2021 को शासन को भेजी गई। जांच में पाया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत नगर निगम गाजियाबाद के सभी पांचों जोनों में डलाबघरों की निगरानी हेतु 115 सीसीटीवी कैमरे, कर्मचारीगण की हाजिरी हेतु 50 बायोमेट्रिक मशीन एवं 4000 कर्मचारियों के परिचय पत्र बनाने के लिए आईडी कार्ड बनाने का काम मेसर्र्स जितिन प्रसाद आनंद कंप्यूटर दिल्ली को दिया गया। इसका कार्य आदेश भी जारी किया गया। जितिन प्रसाद द्वारा उक्त कार्य पूर्ण कराने के बाद सभी पांचों जोन के सफाई एवं खाद्य निरीक्षकों से कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त कर जियो टैग फोटो बिल के साथ संलग्न कर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम कार्यालय में प्रस्तुत किया गया। जितिन प्रसाद द्वारा 150235 रुपये जीएसटी के रूप में सरकार को भुगतान भी कर दिया गया। किंतु अवैध धन अर्जन करने के उद्देश्य से बिल भुगतान हेतु तैयार की गई पत्रावलियों में से वर्क कंपलीशन प्रमाण पत्र को हटा दिया गया और बिलों का भुगतान नहीं किया गया। यह सब कुछ एक सोची समझी साजिश के तहत रिश्वतखोरी एवं जजिया वसूली के लिए किया गया।

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इन धाराओं में दर्ज हुआ है मुकदमा
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप में घिरे नगर निगम के इन तीनों अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ थाना सर्तकता अधिष्ठान मेरठ में धारा- 204 भा. द. वि. व धारा-7 भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 द्वारा यथासंशोधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत हुआ है। जिसमें इन अधिकारियों को अब ट्रायल फेस करना होगा। कोर्ट में आरोप सही साबित हुए तो जेल जाना तय है।

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