दो गज की दूरी डाकखाने में नहीं जरूरी, पोस्ट आफिस धौलाना कस्बा में सोशल डिसटैंसिंग की उड़ रही धज्जियां

कोराना महामारी को लेकर जारी शासनादेश पर अधिकारी व जनता नहीं गंभीर

अश्वनी शर्मा, धौलाना। कोराना महामारी से बचाव के लिए लागू शासनादेश दो गज की दूरी है बहुत जरूरी, को धौलाना डाकखाने अधिकारी, कर्मचारी और ग्राहक के लिए नहीं है मजबूरी। विश्व स्तरीय कोराना महामारी से सभी देश जूझ रहे हैं। भारत में भी महामारी का संकट लगातार गहराता जा रहा है। महामारी से बचाव के लिए 26 मार्च से देश भर के सभी शहरों, कस्बा व गांव में लाकडाउन भी लगाया गया। उसके बाद सशर्त अनलाक चल रहा है। ताकि महामारी संकट से आम आदमी बचा रहे। लेकिन शायद प्रशासन और पब्लिक के सिर से कोराना महामारी का डर खत्म हो गया है। इसलिए शासनादेश के कोराना महामारी को लेकर दिए गये दिशा निर्देश का अनुपालन में लगातार लापरवाही की फोटो यकायक सामने आ ही जाती है।
बता दें कि धौलाना डाकखाने में वैसे तो सुबह नौ बजे से ही ग्राहकों की भीड़ जुटना शुरू होती है। लेकिन चूंकि शासनदेश पर नया आधार कार्ड बनाने या आधार कार्ड में संसोधन का कार्य भी डाकखाना में किया जाता है। लोग सुबह तड़के से ही नया आधार कार्ड बनवाने या संसोधन के लिए लाइन लगा लेते हैं। जिसके चलते सुबह 9 बजे के बाद यकायक भीड़ बढ़ ही जाती है। डाकखाने के अंदर और बाहर जुटने वाली भीड़ और अधिकारी व कर्मचारियों में शायद कोराना महामारी का डर खत्म हो गया है। तभी तो महामारी को लेकर शासनादेश का अनुपालन कराने में डाकखाना अधिकारी व कर्मचारी गंभीर नहीं देखते। वहीं ग्राहक भी बिना मास्क या दो गज की दूरी का मखौल उड़ाते दिख ही जाते हैं। डाकखाने के अंदर या बाहर लोग चिपक कर खड़े रहते हैं। लेकिन डाकखाना प्रशासन कोई गौर नहीं देता है। ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि डाकखाने में आने वाले लोगों में किसे कोराना है या कौन कोराना की चपेट में आ जाए। इसकी जि़म्मेदारी आखिर किसकी है। वहीं डाकखाने किसी ना किसी काम से आने वाले जागरूक ग्रामीणों का कहना है कि डाकखाने के खाताधारक तो आते ही हैं। वहीं आधार कार्ड में संशोधन कराने या नया बनवाने वाले भी लोग आते हैं। जिसकी वजह से भीड़ लग जाती है। लोग अभी भी कोराना महामारी के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। वहीं अधिकारी और कर्मचारी भी गंभीर नहीं हैं।