मौसम बदलते ही घबराने लगा उद्योग जगत

सरकार को एनसीआर में उद्योगों पर हंटर चलाने के बजाय पीएनजी उपलब्ध कराने की है जरूरत

गाजियाबाद। दीपावली पर्व नजदीक है। इसके साथ दिल्ली-एनसीआर में प्रतिवर्ष की भांति एक बार फिर वायु प्रदूषण बढ़ने का डर सताने लगा है। ऐसे में उद्योग जगत के माथे पर बल पड़ने लगे हैं। प्रदूषण बढ़ने और आबोहवा जहरीली होने पर सर्वाधिक नुकसान इंडस्ट्रीज को उठाना पड़ सकता है। प्रदूषण रोकथाम के लिए कारगर कदम उठाने के बजाय उद्योगों पर हंटर चलाया जाता है। वायु प्रदूषण का हवाला देकर सरकारी तंत्र छोटी-बड़ी इकाइयों को बंद करने का फरमान कब जारी कर देगा, कहना मुश्किल है। इस अघोषित बंदी के कारण उद्यमियों को कुछ विकट समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। उद्योग-धंधे बंद होने से न सिर्फ कारोबार पर असर पड़ेगा बल्कि बड़ी संख्या में कर्मचारियों पर बेरोजगारी का संकट मंडराएगा। इसके अलावा सरकार को राजस्व का नुकसान भी होगा। साल-दर-साल बढ़ती इस समस्या का कोई ठोस समाधान अब तक शासन-प्रशासन स्तर से ढूंढा नहीं जा सका है। ऐसे में सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के सबसे बड़े संगठन इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) ने एक कारगर उपाय सुझाया है। आईआईए का कहना है कि यदि उद्योगों को उचित कीमत पर पीएनजी उपलब्ध कराया जाये और पीएनजी को जीएसटी के दायरे में लाया जाये। आईआईए के इन सुझावों पर यदि सरकार अमल करे तो ना सिर्फ उद्योगों को राहत मिलेगी बल्कि सरकार को भी फायदा होगा।
जनपद गाजियाबाद की पहचान इंडस्ट्रीयल हब के तौर पर है। गाजियाबाद के विभिन्न आौद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हैं। जिनके जरिए कई लाख लोगों को रोजगार की सुविधा मिली हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार को प्रतिशत गाजियाबाद से रिकॉर्ड राजस्व की प्राप्ति होती है। इसके बावजूद उद्योगों की बेहतरी के लिए सरकार का रूख सकारात्मक नजर नहीं आता। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह खेतों में पराली जलना और सड़कों पर वाहनों की अधिकता है। इन दोनों के बाद उद्योग का नंबर आता है। लेकिन प्रदूषण रोकने के नाम पर की जाने वाली कार्रवाई से उद्योग को ही सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई जाती है। इससे सरकार को भी नुकसान होता है। लेकिन सरकारी अमल्‘ा इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार की तरफ से बेहतर सुविधाएं एवं रियायत भी नहीं मिल रही है। पीएनजी के दाम कम न होने से उद्योगों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। आगरा और फिरोजाबाद के मुकाबले गाजियाबाद में पीएनजी के दाम अधिक हैं। इतना ही नहीं गाजियाबाद और नोएडा के अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों में अभी तक पीएनजी पाइप लाइन बिछाई भी नहीं गई है।

औद्योगिक इकाइयों को बंद कर प्रदूषण को कम नहीं किया जा सकता, अपितु जो उद्योग प्रदूषण फैला रहे हैं या अन्य औद्योगिक इकाइयों के सुचारू संचालन के लिए पीएनजी बेहतर विकल्प है। उद्योग इसे अपनाने लिए तैयार है लेकिन सरकार को भी सकारात्मक रूख दिखाने की जरूरत है। कोरोना संकट की वजह से पहले से ही उद्योग की कमर टूटी हुई है। ऐसे में बंदी जैसा कोई भी विकल्प काफी नुकसानदायक साबित होगा। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिस तरह आगरा में प्रदूषण कम करने के लिए पीएनजी की कीमतें कम की गई। उसी तरह एनसीआर में भी कीमतें कम होनी चाहिये। जिस दर पर आगरा में पीएनजी की आपूर्ति की जा रही है उसी दर पर गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली और एनसीआर में भी उद्योगों को पीएनजी मिले। आईआईए ने इस मामले में एक विस्तृत प्रपोजल केंद्र और राज्य सरकार को भेजा है।
नीरज सिंघल
वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

वायु प्रदूषण बढ़ने पर आनन-फानन में छोटी-बड़ी फैक्ट्रियों को बंद करने का सरकारी फरमान जारी हो जाता है। प्रतिवर्ष इस अघोषित बंदी का सबसे ज्यादा नुकसान उद्यमियों को उठाना पड़ता है। कोरोना काल में पहले से एमएसएमई सेक्टर की हालत पतली है। अब प्रदूषण के कारण संभावित उद्योग बंदी की चिंता उद्यमियों को फिर से सताने लगी है। दिल्ली आईआईटी की एक सर्वे रिपोर्ट में भी प्रदूषण का मुख्य कारण बढ़ते वाहनों की संख्या को माना गया है। प्रदूषण में उद्योग जगत का योगदान सिर्फ 5 फीसद है। सड़कों पर पड़ी धूल और निर्माण कार्य प्रदूषण की बड़ी वजह हैं। इसके बाबजूद उद्योगों को बंद कर दिया जाता है। उद्योगों को पीएनजी उपलब्ध कराया जाये और पीएनजी को जीएसटी के दायरे में लाया जाये तो उद्यमी तुरंत इसको अपना लेंगे। जीएसटी लागू होने से उद्यमियों को टैक्स का इनपुट क्रेडिट मिलेगा।
जेपी कौशिक
सेंट्रल एग्जयूकेटिव मेंबर
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन