GST के दायरे में कब आएंगे पेट्रोल-डीजल ?

देश में महंगाई की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। बढ़ती महंगाई पर काबू पाने में केंद्र सरकार के पसीने छूट रहे हैं। घरेलू बजट गड़बड़ाने से मध्यम वर्ग की हालत पतली हो गई है। गरीब एवं मध्यम वर्ग के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है। कुलांचे भरती महंगाई ने पेट्रोल-डीजल के दामों में भी आग लगा रखी है। पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। देश में पहली बार पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर को पार कर गई है। खासकर डीजल के दाम में निरंतर वृद्धि होने से ट्रांसपोर्ट भाड़ा बढ़ गया है। इसका सीधा असर खाद्य सामग्री पर पड़ा है।

पेट्रोल-डीजल को लंबे समय से GST के दायरे में लाने की मांग उठ रही है। GST के दायरे में आने से पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य में कमी आना संभव है। केंद्र सरकार ने इस सवाल का जबाव दे दिया है। सरकार के जबाव ने उम्मीदों को तोड़ दिया है। दरअसल पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने की अभी कोई योजना नहीं है। जब तक केंद्र एवं राज्य सरकारें एकजुट होकर इच्छाशक्ति नहीं दिखाती हैं, तब तक इस सवाल का जबाव ना में रहेगा।

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद को अवगत कराया है कि पेट्रोल-डीजल को GST में सम्मिलित करने के लिए GST काउंसिल की अनुशंसा की आवश्यकता है। GST काउंसिल ने अभी तक इसकी अनुशंसा नहीं की है। दरअसल इस काउंसिल में विभिन्न राज्यों का भी प्रतिनिधित्व है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा है कि जीएसटी काउंसिल राजस्व को ध्यान में रखकर जब उचित मानेगी, पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने पर विचार करेगी। एलपीजी पहले से GST के तहत आता है। वित्त राज्य मंत्री के बयान से साफ है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी आने फिलहाल कोई संभावना नहीं है।

इसके पहले वित्त मंत्री निमला सीतारमण ने भी पेट्रोल-डीजल को GST के तहत लाने के मुद्दे पर गेंद्र राज्य सरकारों के पाले में डाल दी थी। उन्होंने कहा था कि यदि राज्य सरकारें इस बावत प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं तो केंद्र सरकार इस पर विचार कर सकती है। मतलब स्पष्ट है कि इस मामले में ना केंद्र और न राज्य सरकारों की कोई दिलचस्पी है। सभी को अपनी आमदनी की चिंता ज्यादा है। भारत में विगत 1 जुलाई 2017 को GST को लागू किया गया था। यह एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है। GST को लागू करने से पहले केंद्र सरकार ने दावा किया था कि इस प्रणाली से कारोबार करना आसान होगा। लागू होने के बाद से GST में कई बार संशोधन हो चुका है।

GST की जटिल प्रक्रियाओं से कारोबारी आज भी परेशान दिखाई देते हैं। महंगाई के विरोध में विपक्ष आक्रामक रूख अपना रहा है। कांग्रेस, सपा-बसपा, आम आदमी पार्टी (आप), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इत्यादि मोदी सरकार को जमकर कोस रहे हैं। महंगाई के खिलाफ कांग्रेस ने देशव्यापी मुहिम छेड़ रखी है। ऐसे में केंद्र सरकार की टेंशन बढ़ रही है। अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व पंजाब आदि राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं। इसके मद्देनजर विपक्ष महंगाई के मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश में लगा है। सरकार को भी मालूम है कि महंगाई न थमने का खामियाजार भुगतना पड़ सकता है। पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती न होने के पीछे एक बड़ा कारण केंद्र एवं राज्य सरकारों की आय से जुड़ा सवाल भी है।

पेट्रोल-डीजल से सरकारों को प्रतिमाह भारी राजस्व की प्राप्ति होती है। यदि इन्हें GST के दायरे में लाया जाता है तो सरकारी खजाने पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है। ऐसे में केंद्र एवं राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल को GST के तहत लाने के प्रयासों से बच रही हैं। पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी न करने के पीछे दूसरा कारण इलैक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देना है। भारत को पेट्रोल-डीजल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। इलैक्ट्रिक वाहनों का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में इन वाहनों की खरीद पर सब्सिडी की राशि को बढ़ाया है। देश-विदेश की विभिन्न कंपनियां इलैक्ट्रिक वाहनों के निर्माण एवं बिक्री में रूचि दिखा रही हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल के रेट में कमी आने की उम्मीद कम है।

देश को पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से कोरोना संक्रमण का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है। स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ा है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार को पानी की तरह पैसा बहाना पड़ रहा है। वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इन परिस्थितियों में सरकार का फोकस राजस्व आय को बढ़ावा देने पर है। अलबत्ता जनता को महंगाई से आसानी से छुटकारा मिलना संभव नहीं है।

कोरोना काल में नागरिकों की आय और रोजगार पर बुरा असर पड़ा है। बड़ी आबादी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। जनता के पास जब खर्च करने को पैसा नहीं है तो महंगाई आखिर बढ़ क्यूं रही है। यदि पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में ले भी आएं तो इससे ज्यादा कुछ हासिल होना मुमकिन नहीं लगता। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या भी है। देश की आबादी 139 करोड़ से ज्यादा हो गई है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी कानून की मांग उठ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की दिशा में प्रयास तेज किए हैं। अब समय आ गया है कि भारत की आबादी को कंट्रोल करने के लिए खुले दिमाग से सोचा जाए।