ऑनलाइन बिजनेस: विदेशी कंपनियों के अधिकारी बनकर दवा कारोबारियों से साढ़े 3 करोड़ की ठगी, तीन गिरफ्तार

-कैंसर, टीबी जैसी बीमारियों की दवा का रॉ मैटेरियल बेचने का देते थे झांसा

गाजियाबाद। साइबर सैल व इंदिरापुरम पुलिस की संयुक्त टीम ने विदेशी कंपनियों के अधिकारी बनकर ऑनलाइन बिजनेस के नाम पर करोडो की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफास करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गये आरोपित फर्जी नाम-पते पर आधार कार्ड के जरिए मोबाइल सिम खरीदते थे और फिर बैंक में खाते खुलवाते थे। जिसके बाद दवा कारोबार से जुड़े कारोबारियों को अपना निशाना बनाते थे।
इंदिरापुरम थाने में घटना का खुलासा करते हुए साइबर सैल के नोडल अधिकारी एवं सीओ इंदिरापुरम अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि एसएचओ मनीष बिष्ट, साइबर सैल प्रभारी सुमित कुमार की संयुक्त टीम ने शनिवार देर शाम हेबीटेट सेंटर से बिजनौर निवासी सुरेन्द्र पुत्र स्व: बलराम सिंह, रूपचंद पुत्र रामसंजीवन निवासी ग्राम बेरहमपुर (रायबरेली) और नवीन कुमार पुत्र ब्रहमप्रकाश निवासी त्रिलोकपुरी दिल्ली को गिरफ्तार किया गया। गिरोह का सरगना फरार है। जिनके पास से 12 चेक, 3 पैन कार्ड, 18 एटीएम कार्ड, 4 मोबाइल, एक मुहर और 9 हजार रुपए नगद बरामद किया गया है। पिछले दिनों इंदिरापुरम और मधुबन बापूधाम थाने पर साढ़े 32 लाख रुपए ठगने की दो शिकायतें आईं थी। साइबर सेल ने शिकायतों की जांच की और फिर दिल्ली के लाजपत नगर में रह रहे बिजनौर निवासी सुरेंद्र का नाम सामने आया। सुरेन्द्र ने वर्ष 2021 में नवीन व रूपचंद से नैनीताल बैंक सेक्टर-4 गाजियाबाद में 10 हजार रूपए प्रति आधार कार्ड देेकर अपना अमित व राहुल का फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड तैयार कराया था।

साइबर सैल नोडल अधिकारी ने बताया कि यह गैंग पहले फर्जी आईडी तैयार करता था। जिसके बाद फर्जी आधार कार्ड से मोबाइल सिम खरीदते थे और फिर बैंक में खाता खुलवाते थे। उसके बाद गिरोह में शामिल अन्य एक व्यक्ति जो इन्हें दवा कारोबार से जुड़े लोगों की जानकारी उपलब्ध कराता था। गिरोह में शामिल नाइजीरियन मूल के नागरिक ऐसे कारोबारियों से फोन करते थे। बताते थे कि वह कैंसर, टीबी जैसी घातक बीमारियों की दवा का रॉ मैटेरियल उपलब्ध कराते हैं। भरोसा जीतने के लिए कारोबारी के पास अपना एक व्यक्ति सैंपल लेकर भेजते थे। उसके बाद डील करके कारोबारी से एडवांस रकम अपने खाते में जमा करा लेते थे। खाते में रूपए आने के बाद नंबर बंद कर देते थे।

साइबर सैल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि पुलिस जांच में आरोपियों के 15 बैंक खाते मिले है। जिनमें साढ़े तीन करोड़ रूपए का लेनदेन हुआ है। खाते में मौजूद पौन 9 लाख रूपए फ्रीज कर दिया है। गिरोह में शामिल नवीन व रूपचंद का सहयोगी ऑपरेटर था जो कि यूआईडीएआई द्वारा रूपचंद की आईडी ब्लॉक करने पर नवीन को फर्जी आधार कार्ड बनने के लिए रखा था। रूपचंद और नवीन बीए पास है और सुरेन्द्र 9वीं पास है।