विषम परिस्थितियों में गाजियाबाद का शानदार प्रदर्शन: स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में दिखा शहर का वास्तविक आईना, 19वें स्थान पर रहा हॉट सिटी गाजियाबाद

– यदि डंपिंग ग्राउंड की समस्या और एनजीटी की रोक ना आती आड़े तो और बेहतर होता परिणाम

– स्वच्छता जागरूकता अभियान, सिटीजन फीडबैक सहित अन्य पैरामीटर पर निगम ने किया अच्छा काम

– गालंद में प्लांट लगाने के लिए जमीन का काम पूरा, अब तेजी से कराना होगा प्लांट का काम

– गाजियाबाद के नवनियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर को 2021 के लिए अभी से करना होगा काम

– वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का पूरा हो जाये काम तो 2021 में टॉप-10 की रेस में होगा शहर, मजबूत बेस का मिलेगा लाभ

– 2020 में प्लास्टिक एवं पॉलीथिन मुक्त गाजियाबाद की परिकल्पना को धरातल पर उतारने का हुआ सार्थक प्रयास

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम के शानदार प्रदर्शन ने शहरवासियों को एक बार फिर गौरवान्वित होने का मौका दिया है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में गाजियाबाद ने फिर से टॉप-20 में अपनी पोजीशन बरकरार रखी है। 2019 में भी गाजियाबाद टॉप-20 में रहा था, लेकिन पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष की सफलता इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि 2020 में परिस्थितियां प्रतिकूल थीं। शहर में कूड़ा कहां डंप किया जाये यह सबसे बड़ी चुनौती थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का भी कूड़ा डंपिंग को लेकर काफी सख्त रूख रहा। नगर निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि किस तरह से कूड़े का निस्तारण करें और शहर को साफ-सुथरा रखें। 2019 में जहां अधिकांश नंबर डॉक्यूमेंटेशन पर मिले थे वहीं  2020 में स्वच्छ सर्वेक्षण का पूरा फार्मेट ही बदल दिया गया और भौतिक सत्यापन एवं गोपनीय सर्वे के आधार पर नंबर दिये गये। केंद्र सरकार की सर्वेक्षण टीम ने गोपनीय ढंग से सर्वे एवं सत्यापन का कार्य किया। टीम के आने और सत्यापन की जानकारी तक नगर निगम अधिकारियों को नहीं दी गई। यही वजह है कि शहरवासी  2020 की रैंकिंग को शहर का वास्तविक आईना मान रहे हैं। 2019 और 2020 की रैंकिंग में कोई खास अंतर भी नहीं है। 2019 में गाजियाबाद 13वें स्थान पर रहा था और 2020 में 19वें स्थान पर है। लेकिन 2020 में जिस प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने के लिए काम हुआ वह काबिले तारीफ है। गाजियाबाद नगर निगम द्वारा स्थापित बर्तन बैंक देशभर के शहरों के लिए एक नजीर बना। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने भी गाजियाबाद के बर्तन बैंक की तारीफ की। कई शहरों में इसे अपनाया गया। प्लास्टिक मुक्त कांवड़ यात्रा शिविर भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही, जिसकी शासन स्तर पर सराहना हुई। इन उपलब्धियोंं को आगे बढ़ाते हुए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को पूरा करना होगा तभी जाकर हम 2021 में टॉप 10 के लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे। गाजियाबाद के नवनियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर के सामने यह एक चुनौती  होगी कि किस तरह से जल्द से गालंद में प्लांट को चालू करके शहर के कूड़े के निस्तारण की समस्या का हल किया जाए। केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय ने लीग फॉरमेट में स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 कराने के बाद अंकों के

एक कार्यक्रम के दौरान मेयर आशा शर्मा का अभिवादन करते म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ. दिनेश चंद्र। फाइल फोटो

आधार पर शहरों की रैंकिंग जारी की है। इस बार सर्वेक्षण में सेवा स्तर, प्रमाणीकरण, नागरिक फीडबैक और प्रत्यक्ष अवलोकन के आधार पर शहर की स्वच्छता को परखा गया। इन मानकों पर स्वच्छता की परख कर शहर को 6000 अंकों में से 4283.26 अंक मिले हैं। कूड़ा निस्तारण के मामले में शहर को शून्य अंक मिला है। वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारित करने के लिए प्लांट न होने के कारण शहर को पूरे 500 अंकों का नुकसान हुआ है। यदि यह अंक मिले होते तो गाजियाबाद टॉप-10 में शामिल होने की दावेदारी कर रहा होता। पिछले साल जनवरी 2019 में जब स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ था उस समय सिद्धार्थ विहार में डंपिंग ग्राउंड था। शहर से रोजाना लगभग 1200 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इसे यहीं पर डंप किया जाता था। नगर निगम ने यहां पर 10 करोड़ रुपए की लागत से कूड़ा निस्तारण के लिए प्लांट भी लगाया था। स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में कूड़ा निस्तारण को लेकर गाजियाबाद को 500 अंकों में से 350 अंक मिले थे। जैसे ही 2019 का स्वच्छ सर्वेक्षण का कार्य पूरा हुआ एनजीटी द्वारा गठित उत्तर प्रदेश राज्य ठोस कचरा प्रबंधन समिति के आदेश पर डंपिग ग्राउंड को बंद कर दिया गया। 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण तक तो स्थिति ठीक-ठाक रही लेकिन उसके तत्काल बाद नगर निगम के सामने कूड़ा निस्तारण के लिए संकट खड़ा हो गया। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत किसी तरह से कूड़े का निस्तारण किया गया। इतनी बड़ी आबादी और प्रतिदिन शहर से निकलने वाले 1200 मीट्रिक टन  कचरे का निस्तारण बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन  नगर निगम अधिकारियों ने इस चुनौती का डटकर  मुकाबला किया और  2020 के  स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर को गौरवान्वित किया। आने वाले समय में इस तरह की समस्याएं ना हों इसके लिए नगर निगम ने गालंद में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने के लिए काम शुरू कर दिया। सबसे बड़ी अड़चन जमीन को लेकर थी। तत्कालीन म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ. दिनेश चंद्र ने व्यक्तिगत रूचि लेकर सभी

प्लास्टिक के कप, प्लेट और दोने का त्याग कर स्टील के बर्तनों का उपयोग करने वाले स्ट्रीट वेंडर को पुरस्कृत करते म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ दिनेश चंद्र।          फाइल फोटो

अड़चनों को दूर कराने का प्रयास किया। इसका परिणाम रहा कि जमीन अधिग्रहण का सबसे कठिन काम पूरा हो चुका है। अब वहां पर प्लांट लगाया जाना है। जन जागरूकता  और सिटीजन फीडबैक को लेकर शहर में जबरदस्त कैंपेन चला। म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ दिनेश चंद्र ने स्वयं अपने हाथों से झाड़ू लगाए। पार्को एवं कॉलोनियों की साफ सफाई के लिए श्रमदान कार्यक्रम चलाया। मलिन बस्तियों से लेकर झुग्गी झोपड़ियों तक में साफ सफाई का ध्यान रखा गया। नुक्कड़ नाटक, योग कार्यक्रम, रैलियां निकाली गई। म्युनिसिपल कमिश्नर  ने स्वच्छता जागरूकता कैंपेन के दौरान लोगों को स्वच्छता के साथ-साथ योग के प्रति भी जागरूक किया। योग के सबसे कठिन आसन शीर्षासन में पारंगत डॉक्टर दिनेश चंद्र ने कई मौकों पर शीर्षासन का रिकॉर्ड भी बनाया। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में शहर को प्रत्यक्ष अवलोकन में 1500 में से 1376 अंक, लोगों से फीडबैैक में 1200 में से 1035.38 अंक, स्वच्छता ऐप के लिए 300 में से 102.33 अंक, सेवाएं देने में में 1500 में से 964.15 अंक, खुले में शौच मुक्त में 500 में 500 अंक, कचरा मुक्त शहर में 800 में से 200 अंक और स्वच्छ सर्वेक्षण लीग में 200 में 105 अंक मिले हैं। यानि अंकों के लिहाज से भी देखें तो गाजियाबाद का प्रदर्शन शानदार रहा है। सिर्फ डंपिंग ग्राउंड नहीं होने के कारण कूड़े के निस्तारण के मामले में गाजियाबाद ने मात खाई है।

शहरवासियों की प्रतिक्रिया

लाइनपार क्षेत्र संयुक्त आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष आरके आर्य बताते हैं कि 2020 में गाजियाबाद की रैंकिंग वास्तविकता के धरातल पर है। हम इस रैंकिंग से खुश हैं। क्योंकि हमें पता है कि हमारे पास कूड़ा निस्तारण के लिए कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं है। ऐसे में इससे बेहतर रैंक नहीं लाई जा सकती थी।

वरिष्ठ पत्रकार नवीन डोभाल बताते हैं कि यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि 2019 में हम 13वें स्थान पर थे और अब 19वें स्थान पर चले गये। इसे हमें इस तरह से देखना होगा कि हमारा शहर 2020 में देश में 10 लाख से अधिक आबादी वाले बड़े शहरों की सूची में टॉप-20 में शामिल है। यह बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है कि 2019 में हमारे पास डंपिंग ग्राउंड था लेकिन 2020 में डंपिंग ग्राउंड नहीं होने के बावजूद शहर को साफ बनाये रखा गया।

कड़कड़ मॉडल निवासी समाजसेवी सुभाष राणा बताते हैं कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के पैरामीटर का परीक्षण करने के लिए आई टीमों ने यथार्थ के धरातल पर परीक्षण कराकर स्वच्छता की पहल को स्थायित्व दिया। पूर्व में ग्रेस मार्क्स की परंपरा को खत्म कर इस वर्ष पूरे प्राप्तांक के आधार पर मेरिट बनी है और शहरवासी खुश हैं।

नगर निगम पार्षद अरविंद चौधरी चिंटू बताते हैं कि गाजियाबाद का प्रदर्शन गौरवान्वित करने वाला है। हम सभी खुश हैं कि देश में इतने शहरों में हमारा शहर टॉप-20 में शामिल है। 2020 में चुनौती काफी कठिन था और उसे हमने पूरा किया।
पूर्व पार्षद विनय चौैधरी गाजियाबाद की सफलता को उपलब्धि मानते हैं। उन्होंने कहा कि बिना डंपिंग ग्राउंड के शहर को स्वच्छ रखना एक चुनौती था। लेकिन निगम अधिकारियों ने इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आज शहर को गौरवान्वित होने का मौका दिया है।

यर्थात के धरातल पर गाजियाबाद

शहर की रैंकिंग से प्रसन्न हूं। गाजियाबाद ने स्वच्छता के मामले में स्थायित्व हासिल किया है। हम यर्थात के धरातल पर हैं और स्वच्छता को स्थायित्व देते हुए 19 वी रैंक प्राप्त की है। गाजियाबाद के नागरिकों ने स्वच्छता की परंपरा को बरकरार रखा। यदि हमारा वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट चालू होता तो परिणाम और भी बेहतर होता और स्वच्छ सर्वेक्षण में हम देश के टॉप-10 शहरों में शामिल होते। यह ना तो मेरी सफलता है और ना ही गाजियाबाद नगर निगम की। यह गाजियाबाद के नागरिकों की सफलता है जिन्होंने स्वच्छता सर्वेक्षण में हिस्सा लिया और हमारे स्वच्छता योद्धाओं का उत्साहवर्धन किया। नगर निगम के कर्मचारियों, मालियों, स्वच्छताकर्मियों, जलकल विभाग के कर्मचारियों के साथ निर्माण और टैक्स सहित अन्य विभगों के कर्मचारियों ने उत्साह के साथ काम किया। इन सभी के सामूहिक और अहर्निश प्रयास और परिश्रम का परिणाम है कि गाजियाबाद ने स्वच्छता सर्वेक्षण में 19वीं रैंक प्राप्त की है। मेयर, निगम पार्षद सहित आरडब्ल्यूए और समाजसेवियों ने भी सवच्छता सर्वेक्षण में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और सभी के सहयोग से सफलता मिली। मैं सभी स्वच्छता योद्धाओं का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। जय हिंद, जय भारत।
डॉ. दिनेश चंद्र
डीएम कानपुर देहात एवं पूर्व म्युनिसिपल कमिश्नर गाजियाबाद।