खुशहाल भविष्य एवं स्वस्थ जीवन के लिए हेल्थ सेक्टर को बजट से बहुत उम्मीद

-नई तकनीक के साथ ज्यादा फंडिंग, रोबोटिक सर्जरी को बढ़ावा देने की जरूरत

गाजियाबाद। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानि बुधवार को बजट पेश करने वाली है। कोरोना के प्रकोप से भले हुए ही भारत फिलहाल राहत महसूस कर रहा है। लेकिन इस महामारी के चलते देश में लाखों लोगों ने जिंदगियां गंवाई हैं। महामारी ने हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, जीवन रक्षक दवाओं, मेडिकल स्टाफ की कमी को उजागर किया। ऐसे में हेल्थ सेक्टर से जुड़े जानकारों से लेकर आम लोगों तक को उम्मीद है कि इस बार का बजट ऐसी महामारी से लड़ने में हमारी तैयारियों को मजबूत करेगा। स्वास्थ्य सलाहकार गौरव पाण्डेय का कहना है कि देशवासियों के खुशहाल भविष्य एवं स्वस्थ जीवन के लिए हेल्थ सेक्टर को बजट से बहुत उम्मीदें है। कोरोना के प्रकोप से भले ही भारत फिलहाल राहत महसूस कर रहा है लेकिन महामारी ने हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, जीवन रक्षक दवाओं, मेडिकल स्टाफ की कमी को उजागर किया। ऐसे में ऐसी महामारी से लड़ने में हमारी तैयारियों को मजबूत करने वाले बजट की आवश्यकता है। हेल्थ बजट में पिछले एक दशक से मोदी सरकार के नेतृत्व में इजाफा ही हुआ है। लेकिन इसके बावजूद सच्चाई यह है कि दूसरे देशों की तुलना में हमारी अपनी जीडीपी के मुताबिक हेल्थ बजट बहुत कम है।

गौरव पाण्डेय ने बताया कि आम लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचे, इसके लिए जरूरी है कि बड़े पैमाने पर हेल्थ केयर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाए और आधुनिक तकनीक के जरिए मेडिकल सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाया जाए। आयुष्मान भारत स्कीम का दायरा बढ़ाया जाए देश में रोबोटिक सर्जरी अब भी एक महंगा काम है। हमे रोबोटिक सर्जरी को बढ़ावा देने की जरूरत है। टेलीमेडिसिन जैसी किफायती तकनीक को आम आदमियों को उपलब्ध कराने की जरूरत है। हेल्थ फंड को बढ़ाकर, निजी-सार्वजनिक हिस्सेदारी को प्रोत्साहित करके और आयुष्मान भारत जैसी स्कीम के दायरे को बढाकर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देना इस बजट का उद्देश्य होना चाहिए। ताकि कोरोना जैसी कोई दूसरी महामारी भी आये, तो हमारी तैयारी पूरी हो।

हेल्थकेयर खर्चों को भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने की उम्मीद है, जिसके बारे में सरकार ने पहले ही घोषणा की थी। साथ ही, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और नई क्षमताओं के निर्माण के लिए भी धन आवंटित किया जा सकता है। बता दें कि वर्तमान में हेल्थकेयर पर जीडीपी का 1.5 प्रतिशत से भी कम खर्च किया जाता है। उम्मीद की जा रही है कि स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाए और नई तकनीकी सुविधा को चिकित्सा में शामिल किया जाए। सरकार को रोग प्रबंधन, दीर्घकालिक देखभाल, पुनर्वास और निवारक देखभाल के लिए एक सहायक प्रणाली का निर्माण करना चाहिए