निकाय चुनाव: टिकट को लेकर ब्राह्मण और वैश्य प्रत्याशी में छिड़ी जंग

-ब्राह्मण समाज ने आशा शर्मा को दिया समर्थन, टिकट देने की मांग
-स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में निवर्तमान महापौर ने गाजियाबाद को दिलाया प्रदेश में पहला स्थान

गाजियाबाद। नगर निकाय चुनाव के सेमीफाइनल से 2024 के लोकसभा चुनाव के फाइनल पर जीत का विजय पताका लहराने के लिए बीजेपी सहित सभी दलों की जोर-आजमाइश का दौर शुरू हो गया है। महापौर की सीट पर जातीय समीकरण के साथ ही टिकट को लेकर सभी दल मंथन करने में लगे हैं। ऐसे में जातीय समीकरण महापौर के चुनाव में एक बार फिर हावी होता हुआ दिखाई दे रहा है। उम्मीदवार अपनी पहचान के साथ ही दावेदारी भी कर रहे हैं। नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। महापौर, पार्षद और नगर पालिका के अध्यक्ष पद के दावेदारों का चयन प्रदेश नेतृत्व करेगा। निकाय चुनाव का नवीन आरक्षण जारी होते ही संभावित उम्मीदवारों की सक्रियता बढ़ गई है। ब्राह्मण और वैश्य में मेयर पद पर आसीन होने के लिए दोनों ही वर्गों के दावेदार टिकट के लिए दावपेंच लगाने में जुट गए हैं। जब जब ब्राहमण समाज एक हुआ है सरकार को लाभ मिला। लेकिन जब सरकार ने ब्राहमणों की एकता को नहीं पहचाना तो सरकारें पलटी हैं।

महापौर के टिकट को लेकर एक बार फिर से ब्राहण संगठनों ने आशा शर्मा को लेकर हुंकार भरना शुरु कर दिया है। गाजियाबाद विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि आशा शर्मा निवर्तमान मेयर है और अपने अच्छे काम के आधार पर पुन: मेयर का टिकट मांग रही है। आज वैश्य समुदाय के 3 जनप्रतिनिधि है। जिसमें 1 सांसद और 2 विधायक वर्तमान में है और अब मेयर की सीट भी वैश्य समुदाय को दिये जाने की चर्चा चलायी जा रही है तो क्या सारा गाजियाबाद वैश्य समुदाय के नाम हो जायेगा। उन्होंने कहा अगर भाजपा ने ब्राह्मण की अनदेखी की तो पूरा ब्राहण समाज एकजुट हो जाएगा। जिसका असर भाजपा को चुनाव में दिखाई देगा। सभा इस बार वह केवल उसी उम्मीदवार का समर्थन करेगी जो पार्टी ब्राह्मण उम्मीदवार को महापौर के लिए टिकट देगी। सभी पार्टियां सिर्फ ब्राह्मणों को अपने वोट के लिए ही इस्तेमाल करती हैं और राजनीतिक तौर पर टिकट देने के मामले में हमेशा उनकी अनदेखी की जाती है। परंतु इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। ब्राह्मण समाज अपना हक लेकर रहेगा और इस बार ज्यादा से ज्यादा पार्षद ब्राह्मण समुदाय चुनने के लिए जोर लगाएगा। ब्राहमण समाज पूरी तरह से भाजपा के साथ है। इसलिए भाजपा ब्राहमणों के साथ अनदेखी न करें। आशा शर्मा का जनाधार भी गाजियाबाद में बहुत अच्छा है।

नगर निगम को स्वच्छता में हिन्दुस्तान में 367वें नंबर से 12वें नंबर पर लेकर आई है और उत्तर प्रदेश में नंबर 1 पर लेकर आयी है। इसलिए उनका कार्य, उनका जनाधार और उनकी लोकप्रियता को ध्यान में रखकर उनको पुन: टिकट दिया जाए। निवर्तमान महापौर आशा शर्मा ने गाजियाबाद को एक नई पहचान दी है। चाहें वह स्वच्छता के मामले में हो या फिर शहर के विकास कार्यों में हो। जो कार्य पूर्व के महापौरों ने अपने कार्यकाल में नही किया, वह कार्य महापौर आशा शर्मा ने अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में करके दिखा दिया। शहर की जनता भी उनके कार्यों से भलिभांति परिचित है। ब्राहण समाज को अपने पाले में करने के लिए विपक्ष भी ब्राहण समाज के किसी चेहरे को उतारने में जुट गया है। अगर भाजपा ने आशा शर्मा को दोबारा टिकट नही दिया तो भाजपा को इस बार गाजियाबाद सीट से हार का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि ब्राह्मण समाज का जो भी प्रत्याशी मैदान में होगा, ब्राह्मण उसे ही पूरी मजबूती के साथ अपना समर्थन देगा। इसलिए भाजपा को भी विपक्ष को हराने के लिए इस बार आशा शर्मा को टिकट देने पर विचार करें। 2017 के चुनाव में आशा शर्मा ने उन्होंने 1,63,647 के बड़े अंतर से कमल खिलाया था। आशा को 2,82,738 वोट मिले थे। उन्होंने 282793 मतों से अपनी जीत दर्ज कराई।

शशिकांत शर्मा ने कहा शहर की जीवन शैली बेहतर और सुगम बनाने, जनता को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के मकसद से गाजियाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने में निवर्तमान महापौर आशा शर्मा ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। आज अपना गाजियाबाद स्वच्छ एवं सुंदर शहर की गाथा लिख रहा है। उन्होंने शहर की स्वच्छता में चार चांद लगाने का काम किया है। उन्होंने कहा भाजपा को एक बार फिर से आशा शर्मा को मैदान में उतारने होगा। तभी शहर का विकास संभव है। अगर भाजपा वैश्य समाज से किसी को टिकट देती है तो गाजियाबाद से हार के सिवा कुछ नही मिलेगा। क्योंकि इस बार के चुनाव में विपक्ष भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतार रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूरा ब्राह्मण समाज एक तरफा विपक्ष को ही वोट देगा। उसका सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि ब्राह्मण समाज से कोई भी प्रत्याशी हो चाहे वह भाजपा से हो या फिर अन्य पार्टी से वोट सिर्फ ब्राह्मण प्रत्याशी को ही जाएगा।

गाजियाबाद में जहां पहले प्रवेश के दौरान कूड़े का ढेर दिखाई देता था, वहीं आज गाजियाबाद सफाई व्यवस्था में सबसे आगे दौड़ रहा है। चौराहे, कॉलोनी में लगे कूड़े के ढेर आज सेल्फी प्वांइट बन गए है। शहर के कई मुख्य चौराहों पर आकर्षक सेल्फी प्वाइंट लगाए हैं। जिसके साथ आज शहर के लिए मनमोहक सेल्फी प्वाइंट बन गए हैं जिस पर कहीं गजब गाजियाबाद, तो कहीं आई लव गाजियाबाद लिखा हुआ है, साथ ही स्वच्छता का संदेश भी यह सेल्फी प्वाइंट दे रहे हैं। कार्य करने का जो जज्बा होता है, वह निवर्तमान महापौर आशा शर्मा में दिखाई देता है। अगर भाजपा ने इस बार ब्राहण समाज की अनदेखी की तो वह बर्दाश्त नही होगा।