गाजियाबाद के निगम पार्षद को हटाया गया कोर्ट ने अयोग्य ठहराया अब चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी को मिलेगी सभासद की कुर्सी

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम के एक पार्षद की कुर्सी छिन गई है। कोर्ट ने पार्षद के निर्वाचन को अयोग्य ठहराया है। कोर्ट के निर्णय के बाद निगम चुनाव में उप-विजेता प्रत्याशी को कुर्सी मिलेगी। हालांकि कोर्ट का निर्णय काफी समय बाद आया है। लेकिन कोर्ट का यह निर्णय भाजपा के लिए एक झटका है। क्योंकि कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम बोर्ड में भाजपा के एक सदस्य कम हो गये हैं। भाजपा पार्षद के स्थान पर निर्दलीय पार्षद की संख्या एक बढ़ गई है। दो स्थानों पर मतदाता सूची में नाम शामिल होने के कारण पार्षद के निर्वाचन को अयोग्य ठहराया गया है।

गाजियाबाद नगर निगम पार्षद आशुतोष शर्मा एवं निर्दलीय प्रत्याशी कुसुम सिंह फोटो।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट साहिबाबाद क्षेत्र से पार्षद ने भाजपा नेता आशुतोष शर्मा का दिसंबर 2017 में पार्षद के पद पर हुआ निर्वाचन शून्य घोषित किया है। कोर्ट द्वारा आशुतोष शर्मा के निर्वाचन को शून्य घोषित किये जाने के बाद उनके स्थान पर निगम चुनाव में उप विजेता रहीं कुसुम सिंह को विजेता घोषित किया गया है। नगर निगम के वार्ड – 83 से अब कुसुम सिंह पार्षद घोषित की गई है। वार्ड- 83 से नगर निगम चुनाव में पार्षद चुने गये आशुतोष शर्मा गाजियाबाद के राजेंद्र नगर के साथ ही दिल्ली के विश्वास नगर विधानसभा से मतदाता थे। इतना ही नहीं आशुतोष शर्मा ने चुनाव के वक्त जमा किए गए शपथ पत्र में हस्ताक्षर भी नहीं किया था। इतना ही नहीं निर्वाचन से संबंधित कई कालम में जरूरी सूचनाएं नहीं दी थी। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद यह आदेश जारी किया है। कोर्ट ने इसके लिए जिम्मेदार तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के लिए डीएम को आदेश दिया है।

कोर्ट के आदेश के बाद पार्षद बनी कुसुम सिंह ने पूरे प्रकरण को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि वर्ष 2017 में हुए नगर निकाय के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उनको वार्ड संख्या-83 से पार्षद प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन नामांकन दाखिल करने से एक दिन पहले भाजपा के तत्कालीन महानगर अध्यक्ष ने आशुतोष शर्मा को चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया। कुसुम सिंह और उनके पति एसपी सिंह भाजपा के कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता हैं। एसपी सिंह ने विगत विधानसभा चुनाव में विधायक सुनील शर्मा के लिए पूर्वांचल के वोटरों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के वोटर सुनील शर्मा से नाराज थे। ऐसे में एसपी सिंह ने पूर्वांचल के लोगों को मनाने और उन्हें भाजपा के पक्ष में वोट करने के लिए प्रेरित किया।

रक्षा मंत्री मंत्री राजनाथ सिंह के साथ भाजपा नेता एसपी सिंह

एसपी सिंह पूर्वांचल के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। वर्ष 2017 के नगर निगम चुनाव में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा पैसे लेकर टिकट बांटने के मामले ने काफी तूल पकड़ा था। इसको लेकर पार्टी में भी आवाज उठी थी। जिसके बाद एक विवादित मामले में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष को हटा दिया गया था। कोर्ट के आदेश के बाद नवनिर्वाचित निगम पार्षद कुसुम सिंह ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन महानगर अध्यक्ष के रवैये का विरोध किया था। कुसुम सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। 26 नवंबर 2017 को चुनाव संपन्न हुआ और तीन दिसंबर 2017 को नतीजे घोषित किए गए। मतगणना में आशुतोष को 2,229 और कुसुम को 2,202 मत प्राप्त हुए, आशुतोष को पार्षद घोषित किया गया। गौर करने वाले बात यह है कि निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद कुसुम सिंह ने 2202 वोट प्राप्त किये। चुनाव परिणाम आने के बाद कुसुम सिंह ने जनवरी 2018 में अदालत में केस दायर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि आशुतोष शर्मा दो जगह से मतदाता हैं, जबकि नियम के तहत प्रत्याशी को एक ही जगह से प्रत्याशी होना चाहिए।

कुसुम सिंह ने कोर्ट को बताया कि आशुतोष शर्मा ने शपथ पत्र में आवश्यक सूचनाएं नहीं दी हैं, अपने हस्ताक्षर तक नहीं किए हैं। ऐसे में उनका निर्वाचन शून्य घोषित किया जाए। अदालत में दोनों पक्षों को सुना गया और 24 अगस्त 2022 को फैसला सुनाया, जिसमें आशुतोष शर्मा का निर्वाचन को शून्य घोषित करने के साथ ही याची या द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले अन्य प्रत्याशी को निर्वाचित घोषित करने का आदेश सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को आदेशित किया। अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने सोमवार को कुसुम सिंह को वार्ड-83 का पार्षद घोषित किया है। यह अपने आप में एक नजीर है।