जीवन का असली धन निरोगी काया: अमित सिलावट

गाजियाबाद। जीवन का असली धन निरोगी काया है। इन चंद शब्दों में ही सारा सार छिपा है। जब तक कोई व्यक्ति स्वस्थ नहीं होता, तब तक उसके लिए मुश्किल होता है कि किसी भी चीज का आनंद लेना। सीधे शब्दों में कहें तो पैसे या चीजों से ही व्यक्ति समृद्ध नहीं बनाता, अच्छे स्वास्थ्य से व्यक्ति समृद्ध बनता है। इसका तात्पर्य यह है कि अच्छा स्वास्थ्य होने से व्यक्ति अपने वेल्थ का सही उपयोग कर पाता है, और अच्छा स्वास्थ्य न होने से सारे के सारे पैसे दवा या इलाज में लग जाते है। जिस धन को आप मेहनत व लगन से कमाते है वे अगर अस्पताल में जा रहे हैं तो भला इतनी मेहनत किस काम की। दुनिया में सबसे खुशहाल लोग वही हैं जो अपने शरीर का बहुत अच्छे से ध्यान रखते हैं या यूँ कहें कि जो स्वस्थ हैं और जिस तरह का माहौल इस समय चल रहा है। ऐसे में यह साफ देखा जा सकता है कि आजकल सभी वर्ग अपने शरीर का अच्छे से ध्यान रख रहे हैं। इंदिरापुरम निवासी अमित सिलावट बताते हैं कि आज इंदिरापुरम रनिंग एंड राइडिंग ग्रुप के साथ 100 किमी की गाजियाबाद से दिल्ली की राइड की। आजकल 100 दिन वाली एक वर्चुअल इवेंट में भाग लिया हुआ है और ग्रुप के साथ अक्सर राइड पर जाना हो जाता है। साइक्लिंग से आप अपने शहर को तो एक्सप्लोर कर ही सकते है साथ ही साथ नए नए दोस्त भी बन जाते है। दुनिया वाकई हिम्मती लोगो से भरी पड़ी है बस आप एक बार नजर उठा कर तो देखिए।
अमित सिलावट आगे बताते हैं कि हमारे एक राइडर मित्र सिद्धार्थ गौतम ने अपनी जीवटता, परिश्रम से अपनी बीमारियों से भरी जिंदगी को एक बार फिर नया रूप, एक नई खुशी दी है और उनके जीने का नजरिया ही बदल गया है, वो भी रेगुलर साइक्लिंग से।हाई ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियों ने इन्हे जब घेर लिया और उनका वजन 120 किलो के पार जा पहुचाँ तो वे जब डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर के कहे कुछ शब्दों ने वो कारनामा कर दिखाया जो शायद संजीवनी बूटी भी न कर पाती। डॉक्टर साहब ने उन्हें कहा कि या तो मेरे यहां चक्कर काट लो, या फिर सड़क पर। फैसला आपका क्योंकि मेरे यहां तो बस दवाई ही मिलेगी।
बस फिर क्या था थाम लिया साइकिल का हैंडल हाथ में और बड़ी शिद्दत से ऐसी साइकिल चलाई कि लगभग 3 से 4 महीने में अपना वजन 125 किलोग्राम घटाकर 95 किलोग्राम पर ले आए और कमाल की बात यह है कि अब वो कोई शुगर बीपी की दवाई भी नही ले रहे। ये आंकड़ा किसी की भी आंखे खोलने के लिए काफी है। जो लोग कार्य शुरू करने से पहले ही हिम्मत हार जाते है, जिन्दगी में अपने स्वास्थ्य को लेकर सोचते बहुत है और करते कुछ नही, उनके लिए सिद्धार्थ जी एक आदर्श ही है। उनकी फिटनेस यात्रा अनवरत जारी है। ऐसी दृढ़ इच्छाशक्ति ही चाहिए फिर वो चाहे कोई भी क्षेत्र हो।
अमित सिलावट कहते हैं कि आज का मैं अपना 100 किमी साइकिलिंग राइड सिद्धार्थ के जज्बे को समर्पित करता हंू। मुझे भरोसा है कि इस पोस्ट से प्रेरणा लेकर कोई तो फिटनेस की दुनिया के लिए अपने कदमों को आगे बढ़ाएगा।
जो स्वस्थ नहीं है वह बीमार है,
उसकी हर जीत सिर्फ इक हार है।