औपचारिकता बनकर रह गई मॉकड्रिल, स्वास्थ्य विभाग कर रहा खानापूर्ति

गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण का ज्यादा खतरा होने की आशंका के चलते जिले में की गई व्यवस्था की प्रमाणिकता परखने के लिए शासन से शुक्रवार और शनिवार को दो दिवसीय मॉकड्रिल के आदेश दिए थे। मॉकड्रिल के लिए शासन ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए थे। संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डॉ. अंजू जोधा को गाजियाबाद और हापुड़ जनपद में मॉकड्रिल के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था। शुक्रवार को संयुक्त निदेशक ने संयुक्त जिला अस्पताल में बच्चों के लिए बनाए गए पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) का निरीक्षण किया। शनिवार को डमी मरीजों पर मॉकड्रिल की बात कही गई। लेकिन शनिवार को मॉकड्रिल भी औपचारिकता बनकर रह गया। मॉकड्रिल के नाम पर निरीक्षण कर खानापूर्ति कर ली गई। राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं और उत्तर प्रदेश में भी इससे निपटने के लिए तमाम तरह की तैयारियां की जा रही हैं। शासन स्तर से बच्चों को अस्पताल ले जाने और उन्हें भर्ती करके उपचार करने की मॉकड्रिल के निर्देश दिए थे।

शनिवार को संयुक्त जिला अस्पताल में मंडल की संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डॉ. अंजु जोधा ने सुबह आठ बजे पहुंचकर मॉकड्रिल की औपचारिकता पूरी की। इस दौरान ना तो नकली मरीज लाए गए और ना ही उपचार का कोई उपक्रम किया गया। अधिकारी आए और व्यवस्थाएं देखकर वापस लौट गए। ऐसा ही कुछ हाल संतोष अस्पताल में की गई मॉकड्रिल के दौरान रहा। संतोष अस्पताल में सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर ने मॉकड्रिल कराया। लेकिन यहां भी केवल व्यवस्थाओं का औपचारिक निरीक्षण ही किया गया। संतोष अस्पताल में भी नकली मरीज और उपचार संबंधी कोई कार्य नहीं किया गया। सीएमओ ने बताया कि संतोष अस्पताल में 50 बेड का पीकू बनाया गया जिसमें सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त मिलीं और स्टाफ भी पर्याप्त था। अस्पताल में लगे ऑक्सीन प्लांंट का कनेक्शन वार्ड तक नहीं है,उसे तुरंत करवाने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा अस्पताल में कहीं भी पीकू, नीकू और कोविड वार्ड का रास्ता बताने के लिए साइन बोर्ड नहीं लगे हैं। अस्पताल प्रबंधन को साइन बोर्ड लगवाने के निर्देश दिए गए हैं।