निजीकरण का विरोध: नही चलेगी सरकार की मनमानी: सुनील गोयल

-बैंक यूनियन की दो दिवसीय हड़ताल

गाजियाबाद। सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन और बैंकिंग लॉ अमेंडमेंट बिल 2021 के विरोध में गुरूवार को सभी सरकारी बैंकों में दो दिवसीय हड़ताल शुरू हो गई है। जिसके चलते बैंकों में लेन-देन नहीं हुआ। बैंकों की दो दिन हड़ताल से करीब एक हजार करोड़ के ट्रांजेक्शन पर भी असर पड़ेगा। वहीं बैंकों के बंद होने से लोगों को लेन-देन में समस्या न हो इसके लिए एटीएम में रुपए डाल दिए गए है।
निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर देश भर में बैंककर्मी दो दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। यूनियन के आह्वान पर जिला यूनियन ने नवयुग मार्किट स्थित केनरा बैंक के सामने बैंककर्मियों ने प्रदर्शन करते हुए निजीकरण का विरोध किया। यूएफबीयू के जिला संयोजक सुनील गोयल ने बताया कि
कर्मचारी विरोधी केंद्र सरकार देश के सभी सरकारी विभागों का निजीकरण कर रही है लेकिन अगर बैंकों का निजीकरण हो गया तो देश के किसी भी नागरिक का पैसा बैंकों में सुरक्षित रहने की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। इसी के विरोध में सरकारी बैंकों के कर्मचारी दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। यूनियंस की सरकार के साथ बातचीत विफल हो गई इसके बाद यूनियन के आह्वान पर दो दिन की हड़ताल की गई है। निजीकरण के साथ प्रतिगामी बैंकिंग सुधारों के साथ-साथ बैंकिंग कानूनों 2021 को वापस लेने की मांग प्रमुख है। सरकार धीरे-धीरे सरकारी बैंकों का निजीकरण कर रही है जिससे आम जनता के साथ ही बैंक कर्मियों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। सरकार अब अन्य कई बैंकों का निजीकरण करने की तैयारी में हैं। जिसका विरोध हड़ताल के जरिए किए जा रहा है। उन्होंने बताया लोगों का पैसा है और सरकारी बैंकों में यह सुरक्षित है। इसे निजी हाथों में सौंपना कतई उचित नहीं। निजी बैंक लगातार फेल होते जा रहे है। यश बैंक इसका ताजा उदाहरण है। निजी बैंकों के डूबने से आम लोगों का पैसा डूबने का डर रहता है।
19 दिसंबर शनिवार को बैंकों में किसी अन्य कारण से अवकाश रहेगा और उसके बाद रविवार को सार्वजनिक अवकाश होने के चलते अब सोमवार को ही बैंक खुलने की संभावना है। यूनियन ने अभी दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। बैंकों में अपना कामकाज कराने पहुंचे लेकिन बैंक बंद होने व कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा।