अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर विशेष

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर विशेष

उदय भूमि ब्यूरो
पिलखुवा।
पूरे संसार में 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है।1966 से पहला साक्षरता दिवस मनाने की शुरुआत के साथ आज तक हम इस दिवस को मनाते आ रहे हैं। हम इस दिवस का उद्देश्य वैश्विक शिक्षा का मुकाबला करने और शिक्षा को समाज में बदलाव के यंत्र के तौर पर मानते आए हैं। इस वर्ष वैश्विक महामारी कोविड-19 के खतरे के अनुरूप हम साक्षरता शिक्षणऔर कोविड-19 संकट और उसके बाद थीम पर आधारित इस पर्व को मना रहे हैं। हमने शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों से बात की आइए जानते हैं उनके विचार।
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दिनेश चौधरी ,चेयरमैन गौतम बुद्ध बालिका महाविद्यालय कहते हैं। की यदि किसी देश के लिए सबसे अच्छा निवेश है। तो वह है शिक्षा ,जिस देश में शिक्षा के प्रति जागरूकता और शिक्षा ग्रहण करने के साधन लोगों की शिक्षा के प्रति रुचि ,सरकार के प्रेरित कार्यक्रम ,होते हैं। वह देश निरंतर वैश्विक स्तर पर सर्वोपरि होता है। आज हमें अपने देश में शिक्षा के प्रति प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक एक अच्छे माहौल बनाने की जरूरत है। जिससे एक प्रत्येक भारतवासी एक बेहतर जीवन जीते हुए राष्ट्र के निर्माण में सहयोगी बने।
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राजीव कंसल प्रबंधक मारवाड़ इंटर कॉलेज बताते हैं ।हमें अपने आसपास के क्षेत्रों में शिक्षा से वंचित छात्रों को स्कूल कॉलेज के लिए प्रेरित करना होगा। जो पढ़ रहे हैं उनको एकेडमिक और प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए प्रेरित करना होगा। जब सभी लोग अपने आसपास के माहौल को सुधारने के लिए प्रतिबंध हो जाएंगे । तो निश्चित रूप से साक्षरता दिवस के मायने प्रगति की ओर अग्रसर होते दिखेंगे।शिक्षा से ही राष्ट्र की प्रगति और  अपना बेहतर जीवन स्तर संभव है। प्रत्येक व्यक्ति को साक्षरता के इस मिशन में अपनी भागीदारी निभानी चाहिए।
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मीनाक्षी कुशवाहा सीएस एग्जीक्यूटिव ने कहा की आज भी शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक असमानता ,शिक्षा की गुणवत्ता ,शिक्षा में पर्याप्त संसाधनों की कमी है।हमारा उद्देश्य व्यक्तिगत ,सामुदायिक, सामाजिक रुप से साक्षर करना होना चाहिए ।जिससे निरक्षरता घटे और साक्षरता प्रतिशत बढ़े ।कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन ने शिक्षण का रुप ही बदल दिया है ।भारतवर्ष में ऑनलाइन एजुकेशन में बहुत बाधाएं हैं। वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र को संसाधनों के अभाव में झटका लगा है। हमें प्रौढ़ शिक्षा ,शिशु शिक्षा ,महिला साक्षरता की ओर विशेष ध्यान देना होगा। सर्व शिक्षा अभियान के ढांचा को और मजबूत करना होगा।
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रजनीश मित्तल, प्रधानाचार्य प्रेमवती देवी मारवाड़ कन्या इंटर कॉलेज बताती हैं। दिवस मनाने से जागरूकता आती है । हम प्रतिवर्ष अपने संकल्प को दोहरा पाते हैं। जिसके अपेक्षित परिणाम भी मिलते हैं। हमें प्रत्येक छात्र को शिक्षा के लिए प्रेरित करना होगा तथा आवश्यक संसाधन मुहैया कराने होंगे। कभी वैश्विक पटल पर भारत की छवि एक शिक्षित राष्ट्र के रूप में होगी।