पांव जो निकला गांव से…यूं बने ब्रावो फार्मा के सीमडी राकेश पांडे मानद प्रोफेसर

संतोष कुमार सिंह
दिल्ली: आपने एक मुहावरा सुना होगा गांव का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध। इसका आशय ये है एक ​व्यक्ति डॉ बनकर गांव वालों की मदद करना चाहता था लेकिन उसकी वहां कद्र नहीं हुई फिर वह दूसरे गांव में प्रैक्टिस करने लगा। इसे कहते हैं गांव का जोगी जोगड़ा आन गांव का सिद्ध। लेकिन आज आपको एक ऐसे जोगी से परिचित कराता हूं जिसकी सनातन संस्कृति में तो पूर्ण आस्था है और साथ ही वेश भूषा भी योगियों वाला यानी भगवा। लेकिन इस जोगी की प्रसिद्धि गांव में तो है ही साथ ही यह गांव के दायरे से बाहर निकल देश विदेश में भी खासा पहचान रखता है। जी हां बात हो रही है मोतिहारी के सरोत्तर गांव के वासी और ब्रावो फार्मा के मालिक राकेश पांडे की जिन्हे उज़बेकिस्तान की सरकार के द्वारा प्रोफेसर की मानक उपाधि प्रदान किया गया। इस मौक़े पर भारत के राजदूत मनीष प्रभात व उज़बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री अमरिलो इनोयातोव के साथ अन्य गणमान्य लोगो की उपस्थिति रही। इस दौरान जीनोम के क्षेत्र में ब्रावो ग्रुप और उज़बेकिस्तान सरकार के बीच सहयोग को लेकर एक #MOU पर भी हस्ताक्षर हुआ।
उल्लेखनीय है कि बिहार के चंपारण के सरोत्तर गांव लाल राकेश पांडेय की कंपनी ब्रावो फार्मा अपने व्यापार को एक और बड़ा व्यापक रुप देने जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जानी जाने वाली उनकी फार्मा कंपनी ने अब अबूधाबी की हेल्थ कंपनी G42 हेल्थकेयर के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की है। इस साझेदारी के अलावा, ब्रावो फार्मा ने G42 हेल्थकेयर के साथ रिपब्लिकन ऑन्कोलॉजी सेंटर ताशकंद उज़्बेकिस्तान में क्लिनिकल जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स और सोमालॉजिक को समर्पित एक सम्मेलन का भी आयोजन किया है।

ब्रावो फार्मा 9 देशों में दे रही सेवाएं
बिहार के रहने वाले ब्रावो फार्मा के चेयरमैन राकेश पांडेय एक प्रसिद्ध उद्यमी और समाजसेवक हैं। जीनोमिक्स के क्षेत्र का विस्तार करने और भौगोलिक दृष्टि से और अनुसंधान के लिहाज कैंसर के इलाज देने लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। राकेश पांडेय की ब्रावो फार्मा दुनिया के नौ देशों में कैंसर, एचआईवी पर रिसर्च और दवा तैयार करती है।
चंपारण से निकल कर यहां तक पहुंचे राकेश, जेहन में रहा गांवअभी हाल ही में ब्रावो फार्मा के मालिक राकेश पांडे ने ब्रावो फार्मा कंपनी की नयी इकाई का शिलान्यास अपने गांव सरोत्तर में किया है। इस कंपनी का शिलान्यास केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के हाथो हुआ। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने ब्रावो फार्मा के सीएमडी राकेश पांडय की भू​री भूरी प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने नेक कार्य किया है। उन्होंने कहा कि कहना आसान है और करना कठिन है। बिहार कठिनाइयों से भरा है। नौजवानों को रोजगार मिले। इस दिशा में राकेश पांडेय ने शानदार प्रयास किया है। उनका दृष्टिकोण पवित्र है और यह दिखाता है कि वह नौजवानों को रोजगार से जोड़ने की दिशा में कितना दृढ़ संकल्पित हैं।

पीएम मोदी से प्रेरणा पा​ते हैं राकेश पांडे
पीएम मोदी के विचारों को आत्मसात कर सूबे में ब्रावो फार्मा की नई इकाई स्थापित करने की दिशा में उनका प्रयास मिल का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यहां पर कैंसर, हेपेटाइटिस बी आदि बीमारियों पर रिसर्च होगा। प्रतिदिन 15 लाख कैप्सूल तैयार होंगे। करीब तीन सौ लोगों को रोजगार मिलेगा। पलायन रोकने में यह इकाईं काफी मददगार साबित होगा। इस कार्यक्रम में उपस्थित एमएलसी सच्चिदानंद राय ने ब्रावो फार्मा के सीएमडी राकेश पांडेय के प्रयासों की सराहना की और बधाई दी।
वहीं ब्रावो फार्मा के सीएमडी राकेश पांडेय ने कहा कि रोजगार सृजन करना है, तो उद्योग लगाना जरुरी है। हमारा कर्तव्य है कि उद्योग लगाएं इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। पलायन भी रुकेगा।
उनहोने कहा कि इस कार्य में काफी बाधाएं आई। चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन, यहां पर उद्योग लगाने की दिशा में सफलता हासिल कर ली। बिहार में पलायन बड़ी समस्या है। हमारी शुरु से कोशिश रही है कि पलायन को रोका जाए। हमने इस दिशा में कई अभियान चलाया गय। बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया। इसमें वह युवा भी शामिल हैं, जो दूसरे राज्यों में आजीविका के साथ साधन के लिए मशक्कत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्रावो फार्मा की इस इकाई में कैंसर, हेपेटाइटिस आदि बीमारियों पर रिसर्च किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बिहार के चंपारण के रहने वाले राकेश पांडे चंपारण सहित पूरे बिहार में सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय योगदान देते रहे हैं। पूरे कोरोना काल में ब्रावो फार्मा के जरिए उनकी सक्रियता की वजह से आम लोगों को इस महामारी के दौरान काफी राहत मिली। न सिर्फ कोरोना काल में बल्कि सामान्य समय में भी वे चंपारण को शैक्षणिक रूप से आगे ले जाने, ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में सतत रूप से योगदान देते रहे हैं। इस वजह से युवाओं में उनकी काफी लोकप्रियता है।