हरिद्वार से दिखेगी बदलाव की बयार, अंग्रेजी और संस्कृत में पारंगत होंगे संत-महात्मा विदेशों में करेंगे हिंदू धर्म का प्रचार

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की पहल पर अखाड़े में गुरुकुल बनाने की तैयारी चल रही है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज सनातन धर्म का देश-विदेश में परचम लहराने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उनके इन प्रयासों को काफी सराहना मिल रही है। इसी क्रम में उन्होंने नई योजना पर काम शुरू किया है।

हरिद्वार। सनातन धर्म का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की गई है। इसके तहत श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के गुरुकुल में निकट भविष्य में अलग नजारा देखने को मिलेगा। गुरुकुल में महामंडलेश्वर और संत-महात्मा एक साथ ज्ञानवर्धन करेंगे। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत व गणित के साथ-साथ सदाचार का पाठ भी पढऩे का मौका मिलेगा। जरूरत पड़ने पर उन्हें भारत की अन्य भाषाओं का ज्ञान भी दिया जाएगा। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की पहल पर अखाड़े में गुरुकुल बनाने की तैयारी चल रही है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज सनातन धर्म का देश-विदेश में परचम लहराने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उनके इन प्रयासों को काफी सराहना मिल रही है। इसी क्रम में उन्होंने नई योजना पर काम शुरू किया है।

निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर के साथ महंत एवं श्रीमहंतों के लिए इस गुरुकुल का निर्माण हो रहा है, मगर अन्य अखाड़ों के महामंडलेश्वर, महंत और श्रीमहंत भी यदि ज्ञान लेना चाहेंगे और यहां आना चाहेंगे तो गुरुकुल के द्वार उनके लिए खुले रहेंगे। गुरुकुल अखाड़े की वर्तमान आचार्य गद्दी सिद्धपीठ श्री दक्षिणकाली मंदिर या फिर तुलसी चौक स्थित निरंजनी अखाड़ा में स्थापित होगा। इस पर अभी मंथन चल रहा है। प्रयास है कि अखाड़ा परंपरा के तहत आने वाले सभी अखाड़ों में श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा को आदर्श अखाड़े के तौर पर प्रस्तुत किया जाए।

अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि सनातन धर्म का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। वह चाहते हैं कि अखाड़े के सभी महामंडलेश्वर सदाचार के साथ-साथ हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, गणित आदि विषयों में पारंगत होकर विश्वस्तर पर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के दायित्वों का निर्वहन करें। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि कहते हैं कि गुरुकुल में महात्माओं को इंटरनेट के सदुपयोग का जरूरी तकनीकी ज्ञान भी प्रदान किया जाएगा। निरंजनी अखाड़े की सभी गतिविधियों को ऑनलाइन करने भी योजना है। गुरुकुल में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित इत्यादि विषयों की जानकारी से देशभर में धार्मिक संपत्ति पर जारी कब्जों पर भी रोक लग सकेगी।

दरअसल संत-महात्माओं के भाषाई अल्पज्ञान का फायदा उठाकर भू-माफिया धोखाधड़ी कर धार्मिक संपत्तियों पर काबिज हो जाते हैं। अथवा अवैध तरीके से संपत्ति का क्रय-विक्रय कर लेते थे। इसके अलावा मठ-मंदिर व आश्रम-अखाड़ों के प्रबंधन के दरम्यान महामंडलेश्वर, महंत और श्रीमहंतों को लेन-देन, क्रय-विक्रय की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अखाड़ों की स्थापना के समय ध्येय अलग था, मगर वर्तमान परिस्थितियों में स्वरूप बदल चुका है। ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि अखाड़े के महामंडलेश्वर और संत-महात्मा वर्तमान जरूरत के अनुसार स्वयं को तैयार करें। ज्ञान-विज्ञान, विशेषकर तकनीकी के क्षेत्र में जारी नित्य नए बदलाव से अवगत होकर सभी तरह की परिस्थितियों में धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए स्वयं को पारंगत बनाएं।