पाकिस्तान में बड़बोले इमरान खान का जाना

नई दिल्ली। पाकिस्तान का राजनीतिक परिदृश्य एकाएक बदल गया है। पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी उठा-पठक पर विराम लग चुका है। पाकिस्तान की सत्ता में आए ताजा बदलाव का भारत पर भी निकट भविष्य में असर पड़ना तय है। ऐसे में भारत-पाक संबंधों में सुधार होगा या चीजें और ज्यादा बिगड़ेंगी, इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। वैसे इस पड़ोसी मूल्क में बदले राजनीतिक हालात पर कई देशों की नजर है, मगर भारत ने बेशक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है पर नई दिल्ली में पाकिस्तान के नए पीएम को लेकर सुगबुगाहट चल पड़ी है। पाकिस्तान की सियासत में रविवार का दिन इतिहास में दर्ज हो गया।

इमरान खान मुल्क में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता खोने वाले पहले पीएम बन गए हैं। नेशनल असेंबली में इमरान सरकार के खिलाफ 174 सांसदों ने मतदान किया। इस सत्ता परिवर्तन की गवाह पूरी दुनिया बनी, मगर इसके साथ पुन: भारत-पाकिस्तान रिश्तों का सवाल सामने आया है। खासतौर से तब जब सत्ता गंवाने के कुछ दिन पहले भारत के प्रति इमरान का रवैया और सुर बदल गए थे। सवाल है कि भारत के लिहाज से पाकिस्तान में सरकार बदलने के मायने क्या हैं? पाकिस्तान के गणित में भारत हमेशा शामिल रहा है।

वहीं, इस बार इमरान खान ने विदेश नीति के लिए भारत की प्रशंसा की और अपनी विदेश नीति और सुरक्षा नीति को लेकर पाकिस्तान की सेना पर सवाल उठाए। खान के इस कदम ने भी रावलपिंडी को पहले से भी ज्यादा परेशान कर दिया था। कहा जा रहा है कि इमरान ने नई दिल्ली के लिए राजनीतिक रूप से रास्ते खोलना मुश्किल बना दिया था। क्योंकि वे पिछले लगभग ढाई साल से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर निजी तौर पर हमले कर रहे थे। माना जा रहा है कि उनका सत्ता से बाहर होना नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच कूटनीतिक बातचीत शुरू करने को अपेक्षाकृत आसान बना सकता है।

खास बात है कि आजादी के बाद से दोनों देशों के बीच तीन बार युद्ध हो चुके हैं। इनमें से दो बार जंग कश्मीर के लिए लड़ी गई। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना नई सरकार पर कश्मीर में सफल युद्धविराम के लिए दबाव डाल सकती है। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी हाल ही में कहा था कि यदि भारत सहमत होता है, तो कश्मीर मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। चार साल पहले सत्ता से बाहर हुए शरीफ परिवार की शहबाज के रूप में एक बार फिर वापसी हुई है। इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है।

उनके भाई और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लंदन में हैं, मगर उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के बाद अपने भाषण में कई बार उन्हें याद किया। खबर है कि शरीफ हमेशा भारत के साथ संबंध सुधारने को लेकर सकारात्मक रहे हैं, मगर इमरान के बयानों के कारण यह मुश्किल हो सकता था। पाकिस्तान में अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। एक बार फिर यही हुआ है और चौथे साल में इमरान सरकार को भी बाहर का रास्ता देखना पड़ा। हालांकि वोटिंग के दौरान इमरान नेशनल असेंबली में मौजूद नहीं थे। विपक्ष ने पीएम के खिलाफ आठ मार्च को अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया था।