Congress : – कार्यकारी अध्यक्ष की तलाश तेज

Congress की खराब हालत आज किसी से छुपी नहीं है। आंतरिक कलह और वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी जगजाहिर है। दिल्ली की गद्दी हाथ से जाने के बाद से शीर्ष नेतृत्व का चैन व सुकून गायब है। विभिन्न राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति सुधर नहीं पाई है। अगले साल कुछ राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं पंजाब प्रमुख हैं। इसके मद्देनजर संगठन को पटरी पर लाने की कवायद तेज हो गई है।

Congress ने अध्यक्ष की तलाश शुरू कर दी है। अध्यक्ष पद से वायनाड सांसद राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद से सोनिया गांधी के हाथ में संगठन की कमान है। स्वास्थ्य कारणों से वह पहले की भांति सक्रिय नजर नहीं आ रही हैं। मानसून सत्र के बाद कांग्रेस को संभवत: कार्यकारी अध्यक्ष मिल सकता है। इसके लिए कई नामों पर विचार चल रहा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ नेता कमलनाथ भी इस दौड़ में शामिल हैं। सब-कुछ ठीक ठाक रहा तो कांग्रेस की कमान कमल के हाथ में आना मुमकिन है। उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपे जाने की चर्चाएं चल रही हैं। इस बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कांग्रेस के साथ नजदीकी बढ़ी हैं। वह वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात कर चुके हैं। माना जा रहा है कि उन्हें पार्टी में कोई बड़ा पद ऑफर किया गया है।

Congress के साथ आने या ना आने का अंतिम निर्णय प्रशांत को करना है।कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा किए जाने से पहले सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सक्रिय हो गए हैं। प्रियंका गांधी राष्ट्रीय महासचिव के साथ-साथ यूपी प्रभारी का दायित्व भी संभाले हुए हैं। यूपी में प्रिंयका की सक्रियता कायम है। वह समय-समय पर केंद्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। सोनिया गांधी के आवास 10 जनपद पर इन दिनों राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज है। संगठन की मजबूती, नाराज नेताओं को मनाने और अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव की तैयारियां पार्टी स्तर पर तेज हो गई हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यदि कांग्रेस के साथ राजनीतिक पारी शुरू करते हैं तो यह पार्टी हित में होगा। प्रशांत की रणनीति अचूक मानी जाती है।

कुछ माह पहले Congress के वरिष्ठ नेताओं में असंतोष की भावना खुलकर सामने आ गई थी। 23 सीनियर नेताओं ने मंत्रणा करने के उपरांत सोनिया गांधी को पत्र भेजकर ज्वलंत बिंदुओं का जिक्र किया था। इन नेताओं ने Congress की बिगड़ी हालत पर चिंता जाहिर करने के अलावा स्थाई अध्यक्ष की जरूरत पर जोर दिया था। विवाद उस समय गहरा गया था जब राहुल गांधी ने असंतुष्ट नेताओं की वफादारी पर सवाल खड़े कर दिए थे। विवाद और बढ़ता, इससे पहले स्थिति को संभाल लिया गया था। कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेता Congress में आमूल-चूल परिवर्तन की वकालत कर चुके हैं।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में Congress को मजबूत करने की कोशिशें रंग नहीं ला पा रही हैं। प्रियंका गांधी की सक्रियता के बाद भी पार्टी अपने पुराने एवं परंपरागत वोटरों को लुभाने में नाकाम हो रही है। यूपी की सत्ता से Congress लंबे समय से बाहर है। Congress के कमजोर होने के कारण समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे क्षेत्रीय दल समय के साथ मजबूत होते चले गए। इन दलों ने उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काफी समय तक राज किया। पंजाब और राजस्थान में Congress सत्ता में है, मगर दोनों राज्यों में आंतरिक कलह बार-बार उभर कर सामने आ रही है। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तनातनी आए दिन की बात हो गई है। पिछले दिनों नवजोत सिंह सिद्धू ने दिल्ली आकर सोनिया गांधी व राहुल गांधी से मुलाकात की थी। पंजाब में विधान सभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने भी सक्रियता दिखानी आरंभ कर दी है। चर्चा है कि पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू पर आप डोरे डाल रही है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भविष्य में सिद्धू हाथ का साथ छोड़ आप के साथ भी जा सकते हैं। आप की तरफ से उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलौत और सचिन पायलट में जब-तब अनबन की खबरें सामने आती रहती हैं। महाराष्ट्र में Congress बेशक उद्धव ठाकरे सरकार में सहयोगी है, मगर शिवसेना और कांग्रेस के संबंध ज्यादा अच्छे नहीं हैं। भाजपा ने 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का सिंहासन संभाला था।

मोदी लहर ने ऐसा असर दिखाया था कि Congress और उसके सहयोगी दल धड़ाम हो गए थे। 2014 में Congress के खिलाफ देशभर में माहौल गरम था। आए दिन करोड़ों-अरबों के घोटाले सामने आने के कारण आम जनता में Congress की छवि कलंकित हो गई थी। समाजसेवी अन्ना हजारे का आंदोलन और कालेधन के खिलाफ योग गुरु बाबा रामदेव का दिल्ली में उपवास Congress की परेशानी को और बढ़ा गया था। 2019 में Congress ने फिर सत्ता में वापसी के लिए हाथ-पांव मारने शुरू किए थे, मगर मोदी मैजिक के चलते कांग्रेस के मंसूबों पर पुन: पानी फिर गया था। सच्चाई यह है कि नरेंद्र मोदी के मुकाबले आज भी Congress के पास कोई असरदार और नामचीन चेहरा नहीं है। अलबत्ता Congress ने अब अपने भीतर सुधार करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं।

अलबत्ता मानसून सत्र के बाद कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा संभव है। Congress पर एक परिवार की पार्टी होने की तोहमत लगती रही है। खासकर भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाती है। ऐसे में किसी वरिष्ठ नेता को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर Congress नेतृत्व जनता में अलग संदेश देना चाहता है। कमलनाथ को पार्टी का बेहद वफादार माना जाता है। कुछ समय पहले देश में तीसरा मोर्चा गठित करने की सुगबुगाहट भी सुनाई दी थी। जिसके लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कवायद शुरू की थी, मगर तीसरा मोर्चा को लेकर कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई।