भ्रष्टाचार के विरोध में बिजली कर्मचारियों का 4 से 6 अप्रैल तक सामूहिक अवकाश

सविनय अवज्ञा, असहयोग आन्दोलन का चौथे दिन विरोध सभाएं में व्यक्त किया आक्रोश

लखनऊ। यूपी ऊर्जा निगमों में प्रबन्धन द्वारा तानाशाहीपूर्ण ढंग से अन्याय व उत्पीडऩ किये जाने से व्याप्त भय के वातावरण में सभी अभियन्ता एवं अवर अभियन्ता तथा उनके परिवार अत्यधिक मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। इस भयपूर्ण वातावरण में अभियन्ताओं व अवर अभियन्ताओं के लिए सुचारू रूप से कार्य कर पाना संभव नही है। समस्याओं का समाधान न होने व उत्पीडऩ तथा भय के वातावरण के चलते 15 मार्च से चल रहे सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं प्रबन्धन के साथ पूर्ण असहयोग के क्रम में आगामी 4, 5 व 6 अप्रैल को सभी ऊर्जा निगमों के समस्त अभियन्ता व अवर अभियन्ता सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर रहेंगे।

उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ महासचिव प्रभात सिंह ने कहा कि उप्र ऊर्जा निगमों में शीर्ष स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार, प्रबन्धन द्वारा न्यूनतम आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध न कराये जाने, निगमों में नकारात्मक एवं भययुक्त वातावरण स्थापित किये जाने के विरोध में ऊर्जा निगमों के जूनियर इंजीनियर्स एवं अभियन्ताओं द्वारा चलाये जा रहा शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण सविनय अवज्ञा/असहयोग आन्दोलन चौथे दिन मंगलवार को समस्त परियोजनाओं एवं जनपद मुख्यालयों पर जोरदार विरोध सभायें आयोजित की गई। जिसमें सैकड़ों की संख्या में जूनियर इंजीनियर्स एवं अभियन्ताओं ने शामिल होकर प्रबन्धन के प्रति अपना रोष प्रकट किया।

संगठन के पदाधिकारी वीपी सिंह, जीबी पटेल, प्रभात सिंह, जय प्रकाश ने ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए कहा कि यूपी के ऊर्जा निगमों के प्रबंधन द्वारा ईआरपी प्रणाली खरीद एवं बिजली क्रय करने में उच्च स्तर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। ईआरपी प्रणाली पर अरबों रूपये खर्च करने के बाद भी विभागीय कार्यप्रणाली अनुरूप नहीं है, ना ही इसका समुचित प्रशिक्षण दिया गया है और न ही इसके क्रियान्वयन के लिए आवश्यक मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर एवं मैन पावर दी गयी है। इसे बाद भी कम्पनी द्वारा दिये गये सॉफ्टवेयर के अनुरूप ही दबाव डालकर अभियन्ताओं को कार्य करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

जिसकी पूरी जिम्मेदारी शीर्ष प्रबन्धन की है।
उन्होंने कहा ऊर्जा निगमों में विद्युत उत्पादन एवं विद्युत आपूर्ति के लिए आवश्यक न्यूनतम मैन, मनी, मैटीरियल उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने में ऊर्जा निगम प्रबन्धन पूर्ण रूप से विफल रहा है एवं अपनी विफलता छुपाने के लिए प्रबन्धन द्वारा तरह-तरह के बेनियम आदेश जारी कर अभियन्ताओं को उलझाये रखा जा रहा है। संसाधनों की मांग करने वालों पर दण्डात्मक कार्यवाही की जा रही है। इससे जहां प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप सबको बिजली हरदम बिजली के लक्ष्य को पूर्ण कर पाने में बिजली कर्मचारियों को काफी दिक्कतें आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर ऊर्जा निगमों में भययुक्त वातावरण एवं नकारात्मक कार्य प्रणाली स्थापित हो रही है। यह न तो प्रदेश हित में है और न ही ऊर्जा निगमों के हित में है।

संगठन के पदाधिकारियों ने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेन्स नीति की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले अरबों रूपये के इस घोटाले एवं ऊर्जा निगमों में शीर्ष स्तर पर व्याप्त कुप्रबन्धन के लिए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। आन्दोलन में प्रदेश भर के समस्त अभियन्ताओं एवं जूनियर इंजीनियरों ने सहभागिता सुनिश्चित करते हुए जनपद मुख्यालयों एवं परियोजनाओं पर साय 4 से 5 बजे के बीच 1 घण्टे का विरोध प्रदर्शन कर ऊर्जा निगम शीर्ष प्रबन्धन के उत्पीडऩात्मक एवं तानाशाही रवैये पर विरोध जाहिर किया गया। लखनऊ में मंगलवार को मध्यांचल मुख्यालय पर हुई विरोध सभा में इंजीनियर पल्लब मुकर्जी, इंजीनियर0 जीबी पटेल, इंजीनियर प्रभात सिंह, इंजीनियर जय प्रकाश, इंजीनियर विजय गुप्ता, इंजीनियर पीके सिंह, जवाहरलाल विश्वकर्मा, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, इंजीनियर करूणेन्द्र कुमार वर्मा, इंजीनियर जगदीश कुमार, इंजीनियर डीके प्रजापति, इंजीनियर मोहित कुमार, इंजीनियर कौशल किशोर वर्मा, इंजीनियर आशीष शर्मा, इंजीनियर संजीव वर्मा, इंजीनियर दिनेश कुमार प्रजापति, इंजीनियर आरबी सिंह, इंजीनियर राहुल शर्मा, इंजीनियर अभिषेक दुबे, इंजीनियर चन्द्रप्रकाश, इंजीनियर अभिनव तिवारी, इंजीनियर चन्द्रशेखर, इंजीनियर अरविन्द कुमार, इंजीनियर स्वपनिल सिंह, इंजीनियरं0 विरेश पटेल, इंजीनियर मनोज कुमार जायसवाल, इंजीनियर दीपक शर्मा समेत सैकड़ों की संख्या में अभियन्ता, जूनियर इंजीनियर एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।