बॉस से पंगा : भ्रष्टाचार पर उठाई आवाज, एसडीएम सस्पेंड

डीएम आवास में धरना देना पीसीएस अफसर को पड़ा भारी

उदय भूमि ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति सवालों में घिर गई है। इसका ताजा उदाहरण जनपद प्रतापगढ़ में सामने आया है। जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करना प्रशासनिक अधिकारी को भारी पड़ गया है। जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी के कथित करप्शन की जांच की मांग करने पर उप-जिलाधिकारी विनीत उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया गया है। शासन ने उनके विरूद्ध कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया है। इसके पहले विनीत ने अपने बॉस यानी डीएम आवास पर धरना दिया था। प्रयागराज के कमिश्नर को पूरे प्रकरण की जांच सौंपी गई है। उप-जिलाधिकारी (एसडीएम) विनीत उपाध्याय शुक्रवार को जिलाधिकारी आवास में धरना देकर बैठ गए थे। इससे प्रशासनिक मशीनरी में एकाएक हड़कंप मच गया था। एसडीएम ने प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी रूपेश कुमार और अपर जिलाधिकारी शत्रोहन वैश्य पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप मढ़े थे। दरअसल लालगंज क्षेत्र में पट्टा आवंटन में खेल हो रहा था। इससे विनीत काफी नाराज थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि स्कूल की रिपोर्ट लगाने के लिए उन पर दबाव बनाया गया था। इस संबंध में एसडीएम ने डीएम से शिकायत की थी, मगर शिकायत को अनसुना कर दिया गया। करीब 4 घंटे तक वह डीएम आवास में धरना देते रहे। प्रकरण की जांच का आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने धरना समाप्त किया था। सूत्रों का कहना है कि बाद में प्रयागराज के कमिश्नर ने एसडीएम विनीत उपाध्याय को तलब कर लिया था। शासन के सख्त रूख के उपरांत एसडीएम विनीत उपाध्याय को अनुशासनहीनता के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। प्रयागराज कमिश्नर को पूरे मामले की जांच सौंपी गई है। उधर, पीसीएस अधिकारी विनीत को ईमानदारी छवि का अफसर माना जाता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके कदम से प्रशासनिक मशीनरी की काफी किरकिरी हुई थी। लखनऊ तक यह मामला सुर्खियों में रहा।