सरकारी प्रतिबंधों से उद्यमी परेशान, उद्योगों को चलाने के लिए एमएसएमई ने पीएनजी पर की सब्सिडी की मांग

-मेरठ में जुटे आईआईए, पेपर मिल एसोसिएशन एवं वैस्टर्न यूपी चैंबर के पदाधिकारी

गाजियाबाद। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश के तहत उद्योगों के संचालन में कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं। इन समस्याओं पर चर्चा करने और ठोस समाधान ढूंढने के लिए आईआईए के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, पेपर मिल एसोसिएशन एवं वैस्टर्न यूपी चैम्बर ने संयुक्त मीटिंग की। इस दौरान जरूरी बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया गया। आईआईए भवन मोहकमपुर, मेरठ में यह बैठक बुलाई गई थी। इस दौरान एनसीआर के सभी उद्योगों का आगामी 30 सितम्बर 2022 तक प्राकृतिक गैस से संचालन किए जाने तथा ऐसा न होने की दशा में उन्हें बंद किए जाने संबंधी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश पर चर्चा की गई।

आईआईए के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप गुप्ता ने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 4 फरवरी को इस संबंध में आदेश जारी किया था। वक्ताओं ने आवश्यक साक्ष्यों के साथ सरकार एवं आयोग के सापेक्ष अपना पक्ष रखने जाने पर विस्तृत चर्चा की। बैठक में कहा गया कि पीएनजी अन्य मौजूदा ईंधन (लकड़ी व कोयला) की तुलना में 4 गुणा महंगी है। सरकार को पीएनजी पर सब्सिडी देने की आवश्यकता है। जैसे-सरकार आगरा में ताज कोरिडोर में उद्योगों के लिए कर रही है। उद्योगों में अपनाए जाने के लिए पीएनजी की लागत को जीएसटी प्रणाली के तहत लाकर एवं उस पर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) की अनुमति देकर भी कम किया जा सकता है। पीएनजी को अपनाए जाने के निए बड़ी पूंजी लागत शामिल है। उदाहरण के लिए यूपी एनसीआर में 45 पेपर मिलों में से प्रत्येक पर पीएनजी आधारित मशाीनरी स्थापित करने के लिए लगभग 50 करोड़ का व्यय होगा। इस रूपांतरण को सुविधाजनक बनाए जाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता या सरल ऋण प्रदान किया जाना चाहिए। आयोग को ईंधन तटस्थ अवधारणा पर वायु गुणवत्ता मानदंडों की निगरानी करनी चाहिए, चूंकि अब सभी रेड जोन श्रेणी के उद्योगों में वास्तविक समय वायु गुणवत्ता निगरानी स्थापित की गई है।

अत: अनुपालन करने वाले उद्योगों को अपने ईंधन के चयन के लिए स्वतंत्रता होनी चाहिए, जिसके लिए सरकार उत्सर्जित होने वाली वायु की गुणवत्ता की निगरानी कर सकती है। वर्तमान परिवेश में विद्युत आपूर्ति लगभग 22 घंटे उपलब्ध है तथा जेनसेट सिर्फ स्टेंडबॉई के लिए रखे जाते हैं, उनका उपयोग ना के बराबर है। वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में बाजार में कोई पीएनजी आधारित डीजी सेट नहीं है। वर्तमान में मौजूद हजारों डीजी सेटों को पीएनजी ईंधन में बदलने के लिए कोई तकनीक भी उपलब्ध नहीं है। अत: सभी गैर प्रदूषणकारी ग्रीन चैनल या एमएसएमई इकाइयों को डीजी सेट के उपयोग में छूट प्रदान की जाए, जिनका वायु प्रदूषण में योगदान शून्य है। इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष आईआईए पंकज गुप्ता, राष्ट्रीय सचिव प्रदीप कुमार गुप्ता, चैप्टर चेयरमैन गाजियाबाद मनोज कुमार के अलावा चैप्टर चेयरमैन मेरठ सुमनेश अग्रवाल, नोएडा से राहुल जैन, ग्रेटर नोएडा से विशारद गौतम, मोदीनगर से मुकेश गर्ग, हापुड़ से राजेंद्र गुप्ता, बागपत से अमित जैन, सिकंदराबाद से नितिन जैन, मुज्जफ्फरनगर से शशांक जैन, शामली से अनुज गर्ग व एनसीआर पेपर मिल एसोसिशन के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल आदि मौजूद रहे।